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ममता बनर्जी और अखिलेश से नीतीश ने की मुलाकात
2024 में विपक्षी दलों को एक मंच पर लाने की कोशिश में जुटे नीतीश कुमार ने सोमवार को बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मुलाकात की। इस दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ बिहार के डिप्टी सीएम और लालू प्रसाद यादव के छोटे बेटे तेजस्वी यादव भी साथ रहे। ममता बनर्जी से मुलाकात करने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री से उनके पुराने रिश्ते रहे हैं। इस मौके पर नीतीश कुमार ने कहा कि बातचीत में यह तय किया गया है कि लोकसभा चुनाव 2024 के लिए सभी पार्टियों को एक साथ मिलकर तैयारी करनी चाहिए। बिहार के मुख्यमंत्री ने कहा कि विपक्षी दलों को देश के विकास के लिए एक मंच पर आना ही होगा। क्योंकि बीजेपी को देश के विकास की नहीं केवल अपने प्रचार की चिंता है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात करने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चार्टर्ड प्लेन से उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ पहुंचे। उत्तर प्रदेश पहुंचने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव से मुलाकात की।
पटना में हो विपक्षी दलों की सर्वदलीय बैठक: ममता बनर्जी
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि हमारा उद्देश्य बीजेपी को हीरो से जीरो बनाना है। ममता बनर्जी ने कहा कि जेपी आंदोलन की शुरुआत बिहार से हुई थी, इसलिए वह चाहती हैं कि विपक्षी एकता का संदेश जेपी की धरती से ही पूरे देश में जाए। ममता बनर्जी के साथ संयुक्त प्रेस वार्ता के दौरान बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि उन्हें यह नहीं पता कि बीजेपी वाले इतिहास बदल देंगे या क्या कर देंगे। लेकिन बीजेपी से सबको सतर्क रहना जरूरी है इसलिए तमाम विपक्षी पार्टियों को एकजुट होना जरूरी है।
नीतीश ‘बिचौलिया’ बनकर दूसरे राज्यों में घूम रहे हैं : सम्राट चौधरी
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ओर से विपक्षी दलों को एकजुट करने के प्रयास पर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने तंज कसा है। उन्होंने कहा कि पहले उत्तर प्रदेश में कांग्रेसी नेता राहुल गांधी और समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव की जोड़ी को चुनाव के वक्त दो लड़कों की जोड़ी बताया गया था। चुनाव में यह दावे किए गए कि दो लड़कों की जोड़ी कमाल कर देगी। नतीजा क्या हुआ यह पूरे देश ने देख लिया। इसके बाद चुनाव में बुआ-बबुआ यानी बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती और समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव की जोड़ी बनी। इसे बुआ-बबुआ की जोड़ी बताया गया। कहा गया कि लोकसभा के चुनाव में बुआ-बबुआ की जोड़ी बीजेपी को हरा देंगी। इसका क्या नतीजा हुआ, यह भी देश की जनता ने देखा।
नीतीश जी! 2014 में आपने क्या कहा था… उसी मिट्टी को हम ढूंढ रहे हैं, बिहार सीएम को सम्राट चौधरी का जवाब
सम्राट चौधरी ने कहा कि अब 2024 लोक सभा चुनाव आने वाले हैं तो बिहार के मुख्यमंत्री बुआ बबुआ दीदी समेत देश के तमाम भ्रष्टाचारी परिवारों को एकजुट करने का प्रयास कर रहे हैं। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने यह भी कहा कि कांग्रेस के कहने पर बिहार के मुख्यमंत्री बिचौलिया की भूमिका निभा रहे हैं और अपने असिस्टेंट को भी साथ लेकर द्वार द्वार घूम रहे हैं। सम्राट चौधरी ने विपक्षी दलों को एकजुट करने का प्रयास करने वाले नीतीश कुमार को नसीहत दी है। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि नीतीश कुमार जी बिहार में भी बहुत काम है और आप बिचौलिया बनकर घूम रहे हैं।
क्या कहना है राजनीतिक विश्लेषकों का
2024 लोकसभा चुनाव को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और तमाम भाजपा विरोधी राजनीतिक दलों की ओर से एकजुट होने का प्रयास किया जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि भाजपा विरोधी तमाम राजनीतिक पार्टियों को यह पता है कि अकेले दम पर नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चल रही बीजेपी सरकार को 2024 में टक्कर देना असंभव है। इसलिए तमाम क्षेत्रीय पार्टियां यह चाहती है कि कांग्रेस जो कि एक राष्ट्रीय पार्टी है, उनकी छत्रछाया में सारे क्षेत्रीय पाटिया एकजुट हो जाएं ताकि 2024 में बीजेपी को कड़ी टक्कर दी जा सके। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि देश में इस तरह के प्रयास पहले भी हो चुके हैं लेकिन तब की परिस्थिति कुछ और थी आज भी स्थिति कुछ और है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जिस वक्त कांग्रेस की सरकार को हटाने के लिए तमाम विपक्षी दल एकजुट हुए थे, उस वक्त आम जनता तक कोई भी संदेश देर से पहुंचता था। इसके अलावा राजनीतिक दलों की ओर से दिए गए संदेश की सत्यता क्या है, इसे जांचने का कोई पैमाना जनता के पास नहीं होता था। लेकिन आज की तारीख में जब देश की अधिकांश जनता सोशल मीडिया पर एक्टिव है, उसी स्थिति में जनता को झूठ बोलकर बरगलाया नहीं जा सकता। आज की तारीख है, देश की जनता सच्चाई जानना चाहती है। इसी के आधार पर वह मतदान करने का मन बनाती है।
इसलिए अगर बीजेपी के विरोध में तमाम भाजपा विरोधी राजनीतिक दल एक मंच पर आ भी जाते हैं तो हो सकता है कि इसका भी फायदा बीजेपी को ही मिल जाए। क्योंकि जब तमाम बीजेपी विरोधी दलों के नेता एक तरफ होंगे तब बीजेपी के वोटर जो घरों से निकलकर वोट डालने नहीं जाते थे, वैसे लोग भी बढ़-चढ़कर मतदान में हिस्सा ले सकते हैं। इसका सीधा फायदा चुनाव में बीजेपी को मिल सकता है।
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