Home Bihar अच्छा तो इसलिए नीतीश कुमार बार-बार लेते हैं पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का नाम, जानिए क्यों?

अच्छा तो इसलिए नीतीश कुमार बार-बार लेते हैं पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का नाम, जानिए क्यों?

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अच्छा तो इसलिए नीतीश कुमार बार-बार लेते हैं पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का नाम, जानिए क्यों?

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Bihar Politics : बिहार में महागठबंधन सरकार का नेतृत्व कर रहे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बार फिर देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धेय बताते हुए वर्तमान बीजेपी नेतृत्व की आलोचना की है। ये कोई पहली बार नहीं है जब नीतीश ने पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी का नाम लिया है। जानिए क्यों?

नीलकमल, पटना: बुधवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व पर हमला किया। नीतीश ने कहा कि यह लोग कितने दिनों से राजनीति में है और हम लोग कितने दिनों से राजनीति कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने नाम तो नहीं लिया लेकिन इशारों में नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी को टारगेट करते हुए कहा कि ये लोग कितने दिनों से हैं, कहां कुछ हो रहा है। इसके बाद नीतीश कुमार ने कहा कि श्रद्धेय अटल जी के नेतृत्व में जो पार्टी था, कितना बढ़िया से काम हो रहा था। आज कल ये कुछ काम कर रहे हैं क्या ? ये लोग सबकुछ पर कब्जा कर लिए हैं, सिर्फ अपना प्रचार कर रहे हैं।

अटल जी के जयंती समारोह पर भी नीतीश ने की थी तारीफ

25 दिसंबर 2022 को वाजपेयी जी के जयंती समारोह के दौरान नीतीश कुमार ने कहा था कि अटल बिहारी वाजपेयी भारत के सबसे बेहतर प्रधानमंत्री में से एक थे। उनके कार्यकाल में देश में कई विकास के कार्य हुए थे। नीतीश कुमार ने यह भी कहा था कि वह एक राजनेता होने के साथ-साथ एक बेहतर इंसान भी थे। उनके साथ काम करना मेरे लिए सम्मान की बात थी। है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यह भी बताया था कि अटल जी ने उन्हें तीन अलग-अलग विभागों में काम करने का मौका दिया था। इसके अलावा उनसे मुझे बहुत स्नेह मिलता था। मेरी हर बात को अच्छे से सुनते थे और मेरे सारे प्रस्ताव को वह मानते थे। मेरे लिए अटल जी वह नाम हैं, जिन्हें कभी भूलाया नहीं जा सकता है। नीतीश हमेशा यह कहते हैं कि उनके दिखाए रास्ते पर वे आज भी चल रहे है। क्योंकि हर किसी को साथ लेकर चलना अटल जी बड़ी खासियत थी।

अटल नीतीश जी

फाइल फोटो में पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के साथ नीतीश कुमार

तो क्या नरेंद्र मोदी अमित शाह की जोड़ी नहीं दे रही नीतीश कुमार को सम्मान ?

सवाल उठता है कि क्या मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, बार-बार बीजेपी के वरिष्ठ नेता और देश के पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धेय बताकर यह कहना चाहते हैं कि वर्तमान बीजेपी नेतृत्व से उन्हें सम्मान नहीं मिलता? क्या मुख्यमंत्री यह कहना चाहते हैं बीजेपी का वर्तमान नेतृत्व उनकी सलाह नहीं मानता और ना ही उनकी बात सुनता है? क्या नीतीश कुमार यह कहना चाहते हैं कि अटल बिहारी वाजपेयी के बाद भारतीय जनता पार्टी बदल गई है? क्या नीतीश कुमार यह कहना चाहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और जेपी नड्डा अपने सहयोगियों को साथ लेकर नहीं चलना चाहते? इस बाबत राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी आज भी उसी एजेंडे पर काम कर रही है जो अटल बिहारी वाजपेयी के समय हुआ करती थी। राजनीतिक विश्लेषकों का यह भी मानना है कि यह जरूर है कि पिछले 8 साल के दौरान बीजेपी ने अपने मेनिफेस्टो में शामिल कई मुद्दों को धरातल पर उतारने का काम किया है। जिसमें जम्मू कश्मीर से धारा 370 को हटाया जाना और अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण किए जाने के साथ जनता को किए कई और वादों को पूरा करने का काम किया है। बीजेपी को उस वक्त भी संप्रदायिक पार्टी कहा जाता था जब नीतीश कुमार न सिर्फ उनके साथ थे बल्कि एनडीए की सरकार में केंद्रीय कृषि और रेल मंत्री का पद भी संभाल रहे थे।

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आज भी बीजेपी अपने मेनिफेस्टो में किए गए वादे को कर रही है पूरा’

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी का नेतृत्व भले ही कोई कर रहा हो लेकिन पार्टी में न तो अपने घोषणा पत्र में किए गए वादों से कोई कंप्रोमाइज किया न ही सहयोगियों के दबाव उसमे कोई फेरबदल किया। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह अलग बात है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सोच में बदलाव आ चुका है। कल तक नीतीश कुमार उसी सांप्रदायिक कहे जाने वाले बीजेपी की सरकार में रेल मंत्री केंद्रीय कृषि मंत्री समेत तीन विभाग के मंत्री बने। उसके बाद बीजेपी के ही सहयोग से बिहार में 17 साल तक मुख्यमंत्री भी बने रहे। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि दिवंगत अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार कई सहयोगियों के सहारे चल रही थी। इसलिए अटल जी के सामने सहयोगियों की बात मानने की मजबूरी थी। लेकिन वर्तमान समय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 303 की सीट के प्रचंड बहुमत के साथ सरकार चला रहे हैं। बावजूद इसके उन्होंने अपनी सरकार में सहयोगी दलों को भी हिस्सेदारी दी है। नरेंद्र मोदी की सरकार में नीतीश कुमार के जनता दल यूनाइटेड को भी शामिल किया गया था। लेकिन जेडीयू के अंदरूनी लड़ाई की वजह से नीतीश के करीबी आरसीपी सिंह को केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना पड़ा था।

बीजेपी बोली- नीतीश ने तो अटल जी को भी दिया था धोखा

बीजेपी के पूर्व विधायक और प्रदेश प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल का कहना है कि नीतीश कुमार को आज यह बताना चाहिए कि उन्हें दिवंगत अटल बिहारी बाजपेयी से जो वादा किया था, उसे कैसे महज एक महीने में तोड़ दिया था। बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि जब केंद्र में बीजेपी की सरकार थी और अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे। तब बिहार में हुए विधानसभा चुनाव में किसी भी पार्टी के पास बहुमत नहीं मिला था। नीतीश कुमार तब केंद्र की अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में कृषि मंत्री थे। फिर उस समय अटल बिहारी वाजपेयी के कहने पर ही भाजपा के समर्थन से समता पार्टी के नीतीश कुमार ने सीएम पद की शपथ ली थी। नीतीश कुमार मार्च 2000 में मुख्यमंत्री बन तो गए लेकिन उन्हें एक सप्ताह के भीतर बहुमत साबित करना था। प्रेम रंजन पटेल ने कहा कि तब नीतीश कुमार ने अटल बिहारी वाजपेयी को यह वादा किया था कि वे अब बिहार में खूंटा गाड़ कर रहेंगे। लेकिन बहुमत सिद्ध नहीं कर पाने की स्थिति में नीतीश कुमार ने अटल जी से किया वादा तोड़ दिया और फिर दिल्ली चले गए। उसके बाद फिर से अटल जी की सरकार में केंद्रीय मंत्री बन गए थे। इसके बाद 2005 में बीजेपी के बदौलत नीतीश कुमार को बिहार की सत्ता मिली। यानी बीजेपी की बदौलत ही नीतीश कुमार आज तक मुख्यमंत्री की कुर्सी पर चिपके हुए हैं। बीजेपी प्रवक्ता ने यह भी कहा कि नीतीश कुमार एकमात्र ऐसे राजनेता है जो बिना कुर्सी या पद के रह नहीं सकते।
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नीतीश कुमार फिर से केंद्रीय मंत्री बनना चाहते हैं तो खुल कर बोलें- BJP

बिहार बीजेपी के प्रवक्ता प्रेम रंजन ने कहा कि 1994 में जार्ज फर्नांडिस के साथ मिलकर नीतीश कुमार ने समता पार्टी का गठन किया था। इसके बाद 1995 में नीतीश कुमार ने विधानसभा का चुनाव लड़ा। लेकिन हारने के बाद वे फिर 1996 में अटल जी की सरकार में मंत्री बन दिल्ली की राजनीति करने लगे थे। तब बिहार में बीजेपी इकलौती ऐसी पार्टी थी जो लालू सरकार के खिलाफ अकेले आवाज बुलंद कर रही थी। लेकिन जब चुनाव का वक्त आता था तब नीतीश कुमार बिहार में सक्रिय हो जाया करते थे। प्रेम रंजन पटेल ने कहा कि नीतीश कुमार पद और कुर्सी के बिना रह ही नहीं सकते। बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि नीतीश कुमार के पुराने विश्वसनीय साथी धीरे-धीरे उनका साथ छोड़ कर चले गए। क्योंकि वह अपने करीबियों को कभी भी राजनीति में आगे बढ़ने नहीं देना चाहते हैं। बीजेपी प्रवक्ता ने यह भी कहा कि वर्तमान महागठबंधन की सरकार जेडीयू कोटे से जितने भी मंत्री बनाए गए हैं, उनमें से लेसी सिंह और श्रवण कुमार को छोड़ सभी दूसरे दलों से आए नेता हैं।

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