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पटना2 घंटे पहलेलेखक: अमनेश दुबे
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एएन कॉलेज ने 1995 से टैक्स नहीं भरा है।
शहर में आम लोगों से होल्डिंग व कचरा टैक्स लेने के लिए निगम प्रशासन मालिकों को नोटिस थमाने के साथ ही कुर्की करने तक पहुंच जाता है। जुर्माने के तौर पर मोटी रकम की वसूली लोगों से की जाती है, लेकिन वहीं जब सरकारी विभागों के भवनों से प्रॉपर्टी व होल्डिंग टैक्स वसूली की बात आती है तो पटना नगर निगम के हाथ-पांव कांपने लगते हैं।
भास्कर पड़ताल में मिली जानकारी के मुताबिक सिर्फ राजधानी में 85 विभागों-संस्थान के ऐसे भवन व प्रॉपर्टी हैं, जिनसे वर्षों से टैक्स वसूली नहीं हो सकी है। इसमें राज्य के साथ केंद्रीय संस्थान भी हैं।टैक्स की यह राशि बढ़कर आज करीब 60 करोड़ रुपए तक पहुंच गई है। शहर में ऐसी 2 हजार 342 प्रॉपर्टी हैं, जिसका वर्षों से होल्डिंग टैक्स जमा नहीं किया गया है।
पटना नगर निगम के अफसर चाहकर भी सरकारी अमलों से इस बारे में सख्ती नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में शासन-प्रशासन के इस दोहरे मापदंडों की मार आम लोगों पर पड़ रही है। वित्तीय वर्ष के अंतिम महीने मार्च तक अधिक से अधिक टैक्स की वसूली नगर निगम करना चाहता है, लेकिन सरकारी प्रॉपर्टी से टैक्स लेने में पूरे सिस्टम के पसीने छूट रहे हैं।
सबसे अधिक शिक्षा विभाग के 194 होल्डिंग पर 29 करोड़ 50 लाख रुपए से अधिक का टैक्स बाकी है
सिर्फ एएन कॉलेज पर 10 करोड़ से अधिक बकाया
सरकारी प्रॉपर्टी के होल्डिंग टैक्स न देने वालों में सबसे ऊपर शिक्षा विभाग का नाम दर्ज है। शहर में 194 होल्डिंग्स व प्रॉपर्टी का 29 करोड़ 50 लाख रुपए से भी अधिक का टैक्स बकाया है। वित्तीय वर्ष 2020-21 में ही शिक्षा विभाग को 1 करोड़ 38 लाख रुपए से अधिक का टैक्स देना है। कई वर्षों से टैक्स नहीं भरने के लिए इसपर बतौर जुर्माना भी किया गया है, जो 16 करोड़ 11 लाख 48 हजार 86 रुपए तक पहुंच गया है।
शिक्षा विभाग के इस पूरे बकाए में अकेले एएन कॉलेज का ही 10 करोड़ रुपए से अधिक का बकाया है। एएन कॉलेज व शिक्षा विभाग के साथ ही कई ऐसे विभाग हैं, जिन्होंने 1995 अर्थात 25 साल से होल्डिंग टैक्स का एक रुपया भी नहीं जमा किया है।
आम लोगों व सरकारी होल्डिंग से टैक्स वसूली में बड़ा अंतर
निगम होल्डिंग और कचरा टैक्स की वसूली काफी तेजी से कर रहा है। इस बार वित्तीय वर्ष 2020-20 में निजी और सरकारी प्रॉपर्टी से टैक्स की वसूली का टारगेट 60-60 करोड़ रखा गया है। शहर के लोगों से अभी तक करीब 49 करोड़ रुपए की टैक्स वसूली हो चुकी है। लेकिन सरकारी भवनों व प्रॉपर्टी से अभी तक होल्डिंग टैक्स के तौर पर मात्र 16 करोड़ रुपए ही नगर निगम वसूल सकी है। वसूली के इसी अंतर से पूरा मामला स्पष्ट औैर साफ हो जाता है कि किस तरह से निगम किसी भी सरकारी विभागों पर कार्रवाई करने से बचता रहा है।
सरकारी भवनों को छूट क्यों, इसे ऐसे समझिए
पटना हाईकोर्ट के अधिवक्ता और प्रॉपर्टी मामले के जानकार पार्थ गौरव के मुताबिक नगर निगम सरकारी होल्डिंग्स को केवल नोटिस ही दे सकता है। किसी तरह का एक्शन का अधिकार निगम को नहीं है। नगर विकास विभाग से अनुमति लेकर सरकारी भवनों पर कार्रवाई की जा सकती है, हालांकि आजतक ऐसा नहीं हुआ है। किसी विभाग से सीधे टकराव की स्थिति टालने के लिए अफसर इससे बचते हैं।
अच्छी बात: इन 25 का ऐसा टैक्स बाकी नहीं
महालेखाकार, पशु एवं मत्स्य संसाधन, एनिमल साइंस, सर्वेक्षण, सीआईएसएफ, डीवीसी, विद्युत विभाग, ईएसआईसी, वित्त विभाग, उद्योग विभाग, बीमा कंपनी, केंद्रीय श्रम विभाग, लाईब्रेरी, लाइब्रेरी एक्सटर्नल जीओवी, नाबार्ड, एनटीपीसी, पीजीसीआईएल, प्रसार भारती, रेलवे, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया, राजस्व विभाग, साइंस एवं तकनीक, टैक्सटाइल जीओआई, पर्यटन विभाग, युवा मामले एवं खेल विभाग।
85 विभागों में ये हैं टैक्स के टाॅप 20 बकाएदार
सही है कि सरकारी भवनों की बकाया राशि अधिक है। बकाए राशि की वसूली को तेज करने संबंधित विभागों को नोटिस दिया जाएगा। नगर निगम नए सिरे से कार्यवाही करेगा। -उत्तम कुमार, कार्यपालक अधिकारी, राजस्व शाखा, नगर निगम
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