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न्यूज डेस्क, अमर उजाला, पटना
द्वारा प्रकाशित: कीर्तिवर्धन मिश्रा
अपडेटेड सन, 20 फरवरी 2022 08:48 PM IST
सार
राजद की राज्य इकाई के अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने शनिवार को दो सीटों के लिए अपने उम्मीदवारों की घोषणा की। एक हफ्ते पहले ही पार्टी ने 21 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की थी और एलान किया था कि वह एक सीट वाम दलों के लिए छोड़ रही है।
राजद-कांग्रेस
– फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
बिहार में विधान परिषद चुनाव के लिए राजद और कांग्रेस के बीच गठबंधन की सभी संभावनाएं खत्म हो गई हैं। दरअसल, बिहार में विधान परिषद की 24 सीटों पर होने वाले चुनाव के लिए लालू प्रसाद यादव की पार्टी राजद द्वारा दो और उम्मीदवारों के नामों की घोषणा रविवार को की गई। इसी के साथ 2020 के विधानसभा चुनाव में विपक्षी पार्टियों के महागठबंधन में शामिल रही कांग्रेस को दरकिनार कर दिया है।
राजद की राज्य इकाई के अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने शनिवार को दो सीटों के लिए अपने उम्मीदवारों की घोषणा की। एक हफ्ते पहले ही पार्टी ने 21 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की थी और एलान किया था कि वह एक सीट वाम दलों के लिए छोड़ रही है।
प्रियंका गांधी की टिप्पणी से भी नहीं बना कांग्रेस का काम?
गौरतलब है कि काफी समय से खाली पड़ी बिहार विधान परिषद की दो दर्जन इन सीटों के लिए मार्च या अप्रैल में चुनाव होने की संभावना है। गौरतलब है कि कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने चारा घोटाला के एक मामले में अदालत के निर्णय को लेकर राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के समर्थन में टिप्पणी की थी। हालांकि, इसके बावजूद राजद ने घोषणा के लिए बची दो सीटों पर कांग्रेस को तवज्जो नहीं दी।
विधानसभा चुनाव के लिए बना महागठबंधन, दो साल में ही टूटा
राजद और कांग्रेस ने वामदलों भाकपा, माकपा और भाकपा माले के साथ मिलकर 2020 का विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए एक महागठबंधन बनाया था। पांच दलों के विपक्षी महागठबंधन ने 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में 110 सीटें जीती थीं, जो बहुमत से महज 12 सीटें कम थीं। इसके लिए काफी हद तक कांग्रेस को दोषी ठहराया गया था जिसने 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था लेकिन केवल 19 सीटें ही जीत सकी थी।
चुनाव नतीजों के बाद कांग्रेस पर आरोप लगा था कि विधानसभा चुनाव में उसके बुरे प्रदर्शन के कारण विपक्षी महागठबंधन बहुमत के आंकड़े को हासिल करने से पिछड़ गया। कांग्रेस पर उसके सहयोगी दलों ने आरोप लगाया था कि उसके स्टार प्रचारकों में शामिल प्रियंका गांधी ने बिहार में बिल्कुल भी प्रचार नहीं किया, जबकि राहुल गांधी ने केवल आधा दर्जन रैलियों के लिए समय निकाला जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजग के उम्मीदवारों के लिए कहीं अधिक चुनावी सभाएं कीं।
अलग होने का उठाना पड़ा था नुकसान
बिहार विधानसभा की दो सीटों के लिए पिछले साल अक्तूबर में हुए उपचुनाव के समय विपक्षी दलों के महागठबंधन का नेतृत्व कर रही राजद के एकतरफा उम्मीदवार घोषित कर दिए जाने के बाद कांग्रेस ने इसका कड़ा विरोध किया था। पार्टी ने कहा था कि वह वर्ष 2024 में लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव अकेले अपने दम पर लड़ेगी, इसके साथ ही राजद से अलग हो गई थी। बिहार विधानसभा की इन दोनों सीटों पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू ने आसानी से जीत हासिल कर ली थी ।
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