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न्यूज डेस्क, अमर उजाला, पटना
Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र
Updated Wed, 16 Feb 2022 06:22 PM IST
सार
बिहार में कांग्रेस के अनुसूचित जाति विभाग के प्रमुख के राजू ने कहा कि पार्टी कार्यकर्ताओं को बिहार में दोबारा उभरने के लिए सदस्यता अभियान को जोर-शोर से चलाना होगा। उन्होंने पार्टी नेताओं से कांग्रेस संगठन को ज्यादा से ज्यादा सीटें दिलाने के लक्ष्य पर जोर देने के लिए कहा।

राहुल गांधी।
– फोटो : Amar Ujala
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विस्तार
बिहार में पिछला विधानसभा चुनाव साथ में लड़ने वाली कांग्रेस और राजद के बीच दरार अब साफ दिखने लगी है। दरअसल, दोनों ही पार्टियों के बीच राज्य के चुनाव नतीजे आने के बाद जो दूरियां पैदा हुईं हैं, उसके बाद कांग्रेस को राज्य में जनाधार दोबारा बढ़ाने की जरूरत महसूस होने लगी है। इसी के तहत कांग्रेस ने बिहार में फरवरी में मेगा सदस्यता कार्यक्रम शुरू किया है। पार्टी ने फरवरी के अंत तक राज्य में 32 लाख सक्रिय सदस्यों को जोड़ने का लक्ष्य रखा है।
बिहार कांग्रेस के नेता के. राजू ने प्रदेशाध्यक्ष मदन मोहन झा की मौजूदगी में कार्यकर्ताओं से कहा- “हर किसी को डिजिटल स्तर पर सदस्य जोड़ने की ट्रेनिंग देना जरूरी है। इसके जरिए हमें बूथ स्तर पर अपने सक्रिय कार्यकर्ताओं की जानकारी रहेगी। यह थोड़ा तकनीकी कार्य है, इसलिए पूरे अभियान को तकनीक की पहचान होना जरूरी है।”
बिहार में कांग्रेस के अनुसूचित जाति विभाग के प्रमुख के राजू ने कहा कि पार्टी कार्यकर्ताओं को बिहार में दोबारा उभरने के लिए सदस्यता अभियान को जोर-शोर से चलाना होगा। उन्होंने पार्टी नेताओं से कांग्रेस संगठन को ज्यादा से ज्यादा सीटें दिलाने के लक्ष्य पर जोर देने के लिए कहा। हालांकि, इससे पहले उन्होंने लोगों का विश्वास जीतने की जरूरत बताई।
कांग्रेस की तरफ से यह बयान ऐसे समय में आए हैं, जब राजद ने आगामी विधान परिषद चुनाव के लिए 20 उम्मीदवारों की एक सूची जारी कर दी है। इसमें तेजस्वी यादव की पार्टी ने एक सीट कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के लिए छोड़ी है। हालांकि, कांग्रेस इस चुनाव में अपने उम्मीदवार अलग से उतारने पर विचार कर रही है।
इससे पहले राजद नेता तेजस्वी यादव ने भी कहा था कि पार्टी आगामी चुनाव में ज्यादातर सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी। उन्होंने कहा था कि राजद और कांग्रेस विचारधारा के आधार पर एक-दूसरे से जुड़ी हैं, लेकिन क्षेत्रीय दलों को स्थानीय स्तर पर नेतृत्वकर्ता की भूमिका में होना जरूरी है। गौरतलब है कि दोनों पार्टियों के बीच दरार 2020 विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद ही पड़ गई थी। तब कांग्रेस ने महागठबंधन में मिली 70 सीटों में से सिर्फ 19 सीटों पर ही जीत पाई थी।
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