Home Bihar पटना बालिका गृहकांड : हाई कोर्ट ने बिहार सरकार को फटकारा, 11 फरवरी को होगी अगली सुनवाई

पटना बालिका गृहकांड : हाई कोर्ट ने बिहार सरकार को फटकारा, 11 फरवरी को होगी अगली सुनवाई

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पटना बालिका गृहकांड : हाई कोर्ट ने बिहार सरकार को फटकारा, 11 फरवरी को होगी अगली सुनवाई

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पटना: बिहार की राजधानी पटना के गाय घाट स्थित बालिका गृहकांड में पटना हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपना लिया है। सोमवार को हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को फटकार लगाई और पूछा है कि इस मामले में अब तक क्या-क्या कार्रवाई हुई है। हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए 11 फरवरी की तारीख तय की है। राज्य की सबसे सबसे बड़ी अदालत ने इस याचिका को जुवेनाइल जस्टिस मोनिटरिंग कमेटी की अनुशंसा पर रजिस्टर्ड किया है।

सोमवार को मामले की सुनवाई के बाद वकील और महिला विकास मंच की लीगल एडवाइजर मीनू कुमारी ने बताया कि चीफ जस्टिस संजय करोल और जस्टिस एस कुमार की डिवीजन बेंच ने राज्य सरकार से मामले में जवाब मांगा है। कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि इस मामले में अब तक क्या-क्या कार्रवाई हुई है।

कोर्ट की ओर से मामले में ऐक्शन नहीं लिए जाने की वजह पूछी र्गई तो महाधिवक्ता ललित किशोर ने कहा कि पीड़िता का पक्ष ठीक से सुनने के बाद ही कार्रवाई की जाएगी। इस पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगाई और पूछा कि अब तक इस मामले में कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई? बता दें कि बालिका गृहकांड मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ कर रही है। पीड़िता की ओर से एक हस्तक्षेप याचिका दायर किया गया, लेकिन इसकी प्रति राज्य सरकार को प्राप्त नहीं होने के कारण सुनवाई 11 फरवरी, 2022 तक टाल दी गई।
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इस कमेटी में जस्टिस आशुतोष कुमार अध्यक्ष हैं, जबकि जस्टिस अंजनी कुमार शरण और जस्टिस नवनीत कुमार पांडेय इसके सदस्य हैं। कमेटी ने उक्त मामले में 31 जनवरी को अखबार में प्रकाशित रिपोर्ट को गंभीरता से लिया है। इस केअर होम में 260 से भी ज्यादा महिलाएं रहती हैं। कमेटी की एक आपात बैठक बुलाई गई थी। बेसहारा महिलाओं को लेकर अखबार में छपी खबर पर बैठक में चर्चा की गई।
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समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों में आरोप लगाया है कि पटना के गायघाट स्थित रिमांड होम/बालिका गृह में रहने वाली उसके जैसी और अन्य को दवा देकर जबरन अनैतिक कार्यों के लिए मजबूर किया जाता है। पीड़िता ने यह भी आरोप लगाया है कि केअर होम में रहने वाली पीड़िताओं को भोजन और बिस्तर की सुविधाएं भी नहीं मुहैया कराई जाती है। बहुत सारी महिलाओं को गृह को छोड़ने की अनुमति भी नहीं दी जाती है।

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