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बेबाकी से सोनू कहता है कि सरकारी स्कूल के शिक्षकों में योग्यता की कमी है। उन्हें जानकारी कम है। इस कारण सरकारी स्कूल के बच्चों को पढ़ाता हूं। वह बताता है कि वह यू ट्यूब के जरिए आगे की पढ़ाई पूरी कर चुका है। सोनू की दिलचस्पी सभी विषयों में है। सोनू बताता है कि उससे सीखने के लिए 30 बच्चे आते हैं, जिनसे वह प्रति माह के हिसाब से 100 रुपए लेता है। इससे उन बच्चों की पढ़ाई हो जा रही है और मुझे भी आर्थिक मदद मिल जाती है। उन्होंने यह भी बताता कि कई बच्चे पैसे भी नहीं देते। भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी बनने के सपने संजोए सोनू मदद के लिए मिल रहे ऑफर से खुश तो है, लेकिन कहता है कि उसे ऐसी मदद नहीं चाहिए, उसे मदद अधिकारी बनने तक चाहिए। उसकी मां भी अपने बच्चे को अधिकारी के रूप में देखना चाहती है।
मंगलवार को पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी से मदद का प्रस्ताव मिला। राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ( Sushil Kumar Modi ) ने नालंदा जिले के हरनौत में सोनू कुमार से मुलाकात की और उन्होंने सोनू की स्कूली शिक्षा पूरी होने तक उसकी मदद करने का वादा किया। बच्चे के साथ अपनी मुलाकात का विवरण साझा करते हुए सुशील ने ट्विटर पर कहा कि पढ़ने की जिजीविषा को पूरा करने के लिए माननीय मुख्यमंत्री के समक्ष बेबाकी से अपनी बात रखने वाले होनहार सोनू से उनके घर जाकर मुलाकात की। उन्होंने कहा कि सोनू का नवोदय विद्यालय में नामांकन होगा और मैं मैट्रिक तक प्रतिमाह दो हजार रुपये उसके खाते में प्रदान करूंगा।
इस बीच राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव ( Tej Pratap Yadav ) ने भी सोनू से फोन पर बात की और उनकी बातचीत का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है। वीडियो में तेजप्रताप को सोनू की प्रशंसा करते हुए और उसे पटना के एक अच्छे स्कूल में दाखिला दिलाने का वादा करते हुए सुना जा सकता है। तेजप्रताप के सोनू से यह पूछे जाने पर कि क्या वह डॉक्टर या इंजीनियर बनना चाहता है, सोनू ने कहा कि वह एक आईएएस अधिकारी बनना चाहता है।
सोनू पिछले शनिवार को तब सुर्खियों में आया था जब नीतीश नालंदा जिले के हरनौत प्रखंड के अंतर्गत आने वाले अपने पैतृक गांव कल्याण बीघा में थे। बगल के गांव में रहने वाले सोनू ने हाथ जोड़कर मुख्यमंत्री को पुकार कर कहा था कि सर मुझे पढ़ने में मदद कीजिए, मेरे पिता नहीं पढ़ाना चाहते। बच्चे के आग्रह पर मुख्यमंत्री ने अपने साथ आए अधिकारियों को बच्चे की शिकायतों को सुनने का निर्देश दिया था।
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