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कटिहार. यह गांव है वीर जवानों का, अलबेलों का, मस्तानों का.. इस गांव का यारों क्या कहना… बिहार के कटिहार (Katihar) जिले के मनिहारी अनुमंडल के मिर्जापुर बघार गांव पर यह मशहूर फिल्मी गीत बिल्कुल फिट बैठती है. गंगा दियारा क्षेत्र के इस दुर्गम इलाके की इस अनोखी गांव की कहानी सुनकर आप भी इसे मानने लगेंगे. इस गांव की आबादी लगभग पांच हजार है. गांव के लगभग हर घर से लोग सेना से जुड़ाव रखते हैं, पीढ़ी दर पीढ़ी सरहद पर तैनात होकर देश प्रेम (Patriotism) की जुनून इस गांव के सेना से अवकाश प्राप्त (Retired) लोग युवाओं में कूट-कूट कर भरते हैं.
सेना में सूबेदार पद से अवकाश प्राप्त जय मंगल यादव कहते हैं कि वो रोजाना ग्रामीण युवकों को सूरज की पहली किरण के साथ शारीरिक प्रशिक्षण के साथ-साथ खानपान से जुड़े गुर भी बताते हैं. रोजाना प्रशिक्षण लेने वाले अमन कहते हैं, ऐसे तकनीकी जानकारी से उन लोगों को बहुत सहयोग होता है. वहीं, गांव के ही सामाजिक कार्यकर्ता करण मानस कहते हैं कि यह शायद बिहार ही नहीं बल्कि देश का एक अनोखा गांव है जहां हर घर से लोग सीधे तौर पर सेना से जुड़े हुए हैं, कुछ घर तो ऐसे भी हैं जहां परिवार के दो से तीन सदस्य सेना में हैं.
गांव में ज्यादातर लोग सेना में तैनात, देशभक्ति की भावना कूट-कूट कर भरी
मिर्जापुर बघार यादव बाहुल्य गांव है. गांव के रहने वाले जय मंगल यादव सेना में सूबेदार पद से रिटायर हुए हैं. जबकि उनके भाई राजेश यादव अभी भी सेना के जवान के रूप में कार्यरत है. वहीं, उमेश यादव रिटायर्ड जवान हैं, जबकि उनके भाई सादन यादव अब भी सेना में कार्यरत है. सुरेंद्र यादव, निरंजन यादव, विनोद यादव तीनों भाई सेना के जवान के रूप में कार्यरत हैं.
गांव के ही नारद यादव और शंभू यादव सरहदों की हिफाजत करते हुए शहीद हुए हैं. देश भक्ति के जज्बा की बात करें तो यहां के युवाओं की तैयारी देख कर इसका पता चल जाता है. बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा के रेड जोन माने जाने वाले दियारा के इस गांव में युवाओं का पहला लक्ष्य सेना में जाना होता है. इसको लेकर वो लोग हर तरह से तैयारी करते हैं. गांव के युवक रतन और अमन कहते हैं कि अगर सरहद के सेवा के दौरान शहादत मिल जाए तो मानो जिंदगी सफल हो जाए.
इस गांव से कई लोगों ने सरहद पर तैनाती के दौरान अपने प्राणों की आहुति दी है. मगर उनमें देश प्रेम का जज्बा फिर भी डगमगाया नहीं है. ग्रामीणों और युवाओं का जोश और जुनून देख कर लगता है यह परंपरा बरसों बरस तक कायम रहने वाला है.
आपके शहर से (कटिहार)
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