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पटना. गंगा नदी पर बनने वाले नए पुलों के दो पायों के बीच की दूरी अब कम से कम 100 मीटर होगी. यह निर्देश इनलैंड वॉटरवेज अथॉरिटी ऑफ इंडिया (IWAI) ने जारी किया है. हालांकि पुलों की ऊंचाई पहले से तय मानकों के अनुसार ही रहेगी. पायों के बीच की दूरी कम से कम 100 मीटर करने का उद्देश्य बड़े जहाजों को आवागमन सुविधा उपलब्ध कराना है.
गौरतलब है कि IWAI ने इलाहाबाद से लेकर हल्दिया तक गंगा नदी को क्लास वन नेविगेशन चैनल घोषित किया है. अन्य नदियों के लिए अलग-अलग दिशा निर्देश लागू हैं. जल मार्गों से परिवहन लागत अपेक्षाकृत कम आने के कारण इस मार्ग को बेहतर परिवहन विकल्प के रूप में विकसित करने का सरकार ने निर्णय किया है. गंगा नदी पर बने पुराने पुलों में पायों के बीच की दूरी 100 मीटर से कम है, ऐसे में पुराने पुलों के इस्तेमाल की समय सीमा समाप्त होने के बाद उनकी जगह 100 मीटर स्पैन वाले नए पुल ही रह जाएंगे.
पटना सिटी के गायघाट स्थित भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण के क्षेत्रीय निदेशक अरविंद कुमार ने बताया कि गंगा नदी में जितने भी ब्रिज बनने हैं, उसे लेकर IWAI ने गजट नोटिफिकेशन जारी किया है. जिसके तहत दो पायों के बीच की दूरी कम से कम 100 मीटर और हाई फ्लड लेवल से ब्रिज की ऊंचाई कम से कम 10 मीटर ऊपर निर्धारित की गई है. क्षेत्रीय निदेशक ने बताया कि गायघाट के समीप महात्मा गांधी सेतु के समानांतर बनने वाले पुल निर्माण कार्य में भी IWAI के मानकों का ख्याल रखा गया है, जिसे लेकर निर्माण कंपनी एसपी सिंगला को एनओसी भी जारी कर दिया गया है. इस मौके पर क्षेत्रीय निदेशक ने विक्रमशिला सेतु निर्माण कार्य में इन मानकों का ख्याल नहीं रखे जाने की बात दोहराते हुए कहा कि मानकों का ख्याल नहीं रखने के कारण ही नवगछिया की ओर बड़े जहाजों को पार कराने में खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा. हालांकि उनका कहना था कि IWAI द्वारा इस ओर ध्यान आकृष्ट कराने पर भागलपुर साइड में इन मानकों का ख्याल रखा गया है.
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