Home Bihar अपनी जॉब छूटी, अब दर्जन भर को दे रहे रोजगार: लॉकडाउन में फरीदाबाद की कंपनी हुई बंद, जमुई लौट शुरू कर दी रेडीमेड गारमेंट यूनिट

अपनी जॉब छूटी, अब दर्जन भर को दे रहे रोजगार: लॉकडाउन में फरीदाबाद की कंपनी हुई बंद, जमुई लौट शुरू कर दी रेडीमेड गारमेंट यूनिट

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अपनी जॉब छूटी, अब दर्जन भर को दे रहे रोजगार: लॉकडाउन में फरीदाबाद की कंपनी हुई बंद, जमुई लौट शुरू कर दी रेडीमेड गारमेंट यूनिट

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जमुई27 मिनट पहले

जमुई के सूरज ने स्वरोजगार की मिसाल कायम की है। कोरोना काल में लगे लॉकडाउन की वजह से उनकी जॉब चली गई थी। लेकिन अब वो खुद का व्यवसाय कर न सिर्फ अपने परिवार का पालन-पोषण कर रहे हैं बल्कि आसपास के दर्जन भर लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं। सूरज उनलोगों को भी प्रेरित कर रहे हैं जो बिहार से बाहर रहकर काम कर रहे हैं। सूरज के स्वरोजगार में बड़ी भूमिका बिहार सरकार के मुख्यमंत्री उद्यमी योजना की भी है।

जानिए, क्या है नीरज की कहानी
जमुई सदर इलाके के लोहरा गांव के रहनेवाले सूरज हरियाणा के फरीदाबाद की एक गारमेंट कंपनी में सुपरवाइजर का काम करते थे। बीते साल कोरोना की दूसरी लहर में कंपनी बंद हो गई तो उनकी जॉब चली गई। इसके बाद वो वापस अपने गांव आ गए। उद्यमी योजना के तहत 10 लाख रुपए का लोन लिया और अपना काम शुरू कर दिया।

सूरज की यूनिट में काम कर रहे लोग।

सूरज की यूनिट में काम कर रहे लोग।

सूरज बीते 6 माह से अपने गांव में अब रेडीमेड कपड़े बनाते हैं। इसके लिए उन्होंने एक दर्जन आधुनिक मशीनें खरीदी हैं। इसपर काम करने के लिए गांव की ही महिलाओं, लड़कियों और युवाओं को जोड़ा। अब वो यहां सूरत-कोलकाता से मंगवाए मैटेरियल से रेडीमेड कपड़े तैयार करते हैं। अभी वो मुख्य तौर पर बच्चों के स्कूल यूनिफार्म के टीशर्ट और ट्रॉउजर तैयार करते हैं। इसके लिए स्कूलों से भी ऑर्डर मिल रहे हैं। साथ ही आर्डर मिलने पर अन्य तरह के कपड़े भी तैयार कर मार्केट में सप्लाई कर रहे हैं।

खुद भी कमा रहे, दर्जन भर लोगों की भी हो रही कमाई
सूरज ने बताया कि अभी उन्हें प्रतिदिन 1500 से 2000 रुपए की आय हो रही है। साथ में काम कर रहे अन्य लोगों को भी वो प्रतिदिन या हफ्ते के हिसाब से पेमेंट करते हैं। सबको पेमेंट करने के बाद उन्हें महीने में 10 से 15 हजार रुपए की बचत हो रही है।

यूनिट में तैयार हुई एक टीशर्ट दिखाते सूरज।

यूनिट में तैयार हुई एक टीशर्ट दिखाते सूरज।

साथ काम कर महिलाएं भी हो रही आत्मनिर्भर
सूरज की यूनिट में काम कर रही उनके गांव की ही पूजा ने बताया कि घर का काम करने के बाद यहां आकर काम करते हैं। यहां जो रुपए मिलते हैं उससे फैमिली चलाने में बहुत मदद मिलती है। एक छात्रा निभा ने कहा कि अपनी पढ़ाई करने के बाद यहां काम करते हैं। इससे अपनी पढ़ाई का खर्च निकाल लेते हैं।

यहीं काम कर रहे नीरज ने बताया कि पहले वो दिल्ली की एक गारमेंट कंपनी में काम करते थे। अब गांव में ही रेडीमेड कपड़े की यूनिट खुल जाने से उन्हें बहुत फायदा हुआ। यहीं पर काम मिल रहा है तो करने लगे। इस तरह से यहां और भी महिलाओं व पुरुषों को रोजगार मिल रहा है।

यूनिट में काम कर रही निभा और पूजा। साथ में नीचे की फोटो में दिख रही अन्य महिलाएं।

यूनिट में काम कर रही निभा और पूजा। साथ में नीचे की फोटो में दिख रही अन्य महिलाएं।

सूरज बताते हैं कि अब वह घर पर अपने माता-पिता के साथ ही रह रहे हैं और भाई-बहन की सही से परवरिश कर रहे हैं। साथ ही अब अपनी यूनिट का विस्तार भी जमुई से आगे करने की योजना बना रहे हैं। कहा कि बेरोजगार युवकों को सरकार की तरफ से चलाई जा रही योजनाओं का लाभ लेना चाहिए। उन्हें अपने शहर में ही रहकर अपना कारोबार शुरू करना चाहिए।

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