Home Bihar बिहार बजट भाषण में तारिकशोर प्रसाद ने खूब की शेरो-शायरी, कौटिल्य से शुरू हुए और अटल पर अंत

बिहार बजट भाषण में तारिकशोर प्रसाद ने खूब की शेरो-शायरी, कौटिल्य से शुरू हुए और अटल पर अंत

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बिहार बजट भाषण में तारिकशोर प्रसाद ने खूब की शेरो-शायरी, कौटिल्य से शुरू हुए और अटल पर अंत

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पटना: बिहार के उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने सोमवार को बिहार विधानसभा में बिहार बजट भाषण 2022-23 प्रस्तुत किया। तारकिशोर प्रसाद का बजट भाषण में शेरो-शायरी का खूब तड़का दिखा। उपमुख्यमंत्री ने बजट भाषण की शुरुआत महान अर्थशास्त्री कौटिल्य के वाक्यों से की। तारकिशोर प्रसाद ने कहा, ‘अलबद्ध लाभार्थ, लब्ध परिरक्षणी, रक्षित विवर्धनी, वृधश्य तिर्थे प्रतिपादनी च’ अर्थात जो प्राप्त ना हो उसे प्राप्त करना। जो प्राप्त हो चुका है उसे संरक्षित करना, जो संरक्षित हो चुका है उसे समानता के आधार पर बांटना।’

बजट की शुरुआत में तारकिशोर प्रसाद सिंह ने कहा, ‘मंजिल यूं ही नहीं मिलती राही को, जूनुन दिल में जगाना पड़ता है। पूछा चिड़िया से घोसला कैसे बनता है, वो बोली तिनका-तिनका उठाना पड़ता है।’

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तारिकशोर प्रसाद ने बजट भाषण में बताया कि वर्ष 2021-22 में बिहार देश में सबसे ज्यादा आर्थिक विकास दर हासिल करने वाला राज्य रहा। इसके बाद तारकिशोर प्रसाद ने कहा, ‘कौन कहता है कामयाबी किस्मत तय करती है। इरादों में दम हो मंजिल भी झुका करती है।’

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उद्योग एंव उद्योग में निवेश मद्य में वर्ष 2022-23 में एक हजार 600 43 करोड़ 74 लाख रुपये का प्रावधान किया गया है। इसके बाद तारकिशोर प्रसाद ने एक और शायरी कही- ‘मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंख तो यूं ही फड़फड़ाते हैं, हौंसलों से उड़ान होती है।’

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सुशासन के अंतर्गत ‘7 निश्चय -2’ योजना शुरू की गई है। इसके लिए वित्तीय वर्ष 2022-23 में 5 हजार करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान किया गया है। इस योजना की अब तक की उपब्धियों सदन के सामने रखने से पहले श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी की कविता का पाठ करना चाहूंगा। तारकिशोर प्रसाद ने कहा, ‘गीत नया गाता हूं टूटे हुए तारों से, फूटे बासंती स्वर, पत्थर की छाती मे उग आया नव अंकुर, झरे सब पीले पात कोयल की कुहुक रात, प्राची मे अरुणिम की रेख देख पता हूं, गीत नया गाता हूं, गीत नया गाता हूं, गीत नया गाता हूं।’

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बजट भाषण के अंत में तारकिशोर प्रसाद ने कहा, ‘अभी तो असली मंजिल पाना बाकी है, अभी तो इरादों का इम्तिहान बाकी है, अभी तो तोली है मुठ्ठी पर जमीन, अभी तोलना आसमान बाकी है।’

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