![बिहारः शराबबंदी को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश से अपने अनुभव साझा करेंगी 2500 महिलाएं, जानें पूरा मामला बिहारः शराबबंदी को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश से अपने अनुभव साझा करेंगी 2500 महिलाएं, जानें पूरा मामला](https://muzaffarpurwala.com/wp-content/uploads/https://spiderimg.amarujala.com/assets/images/2018/01/15/750x506/nitish-kumar_1515990467.jpeg)
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न्यूज डेस्क, अमर उजाला, पटना
द्वारा प्रकाशित: मेघा चौधरी
अपडेट किया गया शनिवार, 26 फरवरी 2022 06:40 PM IST
सार
बिहार में साल 2016 से लागू शराबबंदी की मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार समीक्षा करेगी। राज्य की महिलाएं पटना में समाज सुधार अभियान यात्रा के दौरान आयोजित होने वाले कार्यक्रम में मुख्यमंत्री के समक्ष दहेज प्रथा और बाल विवाह को लेकर भी अपने विचार साझा करेंगी।
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विस्तार
हालांकि, ग्रामीण विकास विभाग की बिहार ग्रामीण आजीविका परियोजना (बीआरएलपी) की जीविका से 2500 ग्रामीण महिलाओं को शहर के बापू सभागार में आयोजित कार्यक्रम का हिस्सा बनने के लिए आमंत्रित किया गया है। इसमें आधा दर्जन महिलाओं को शराबबंदी के बाद के अपने जीवन के अनुभव सांझा करने का अवसर मिलेगा। इसके साथ ही महिलाएं दहेज और बाल विवाह को लेकर भी अपने विचार और सामाजिक कुप्रथाओं के खिलाफ सरकार की ओर से की गई पहल के प्रभाव को भी साझा करेंगी।
महिलाओं की सफलता की तस्वीरें की जाएंगी प्रदर्शित
ग्रामीण महिलाओं के जीवन में आए बदलाव की कहानियों और शरब, दहेज और बाल विवाह के खिलाफ उनकी लड़ाई से जुड़ी सफलता की कहानियों को समारोह स्थल पर लगाया जाएगा। इनके माध्यम से उनकी कहानियों को प्रदर्शित किया जाएगा। इसके साथ ही गीत और रचनाएं भी कार्यक्रम में दिखाई जाएंगी। इतना ही नहीं जीविका की महिलाओं के शराबबंदी, दहेज और बाल विवाह के अनुभवों पर आधारित फिल्में भी यहां दिखाई जाएंगी।
शारीरिक दूरी का रखा जाएगा ध्यान
पटना के जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) चंद्रशेखर सिंह ने कहा कि कार्यक्रम में नालंदा और पटना की कुल 2500 जीविका महिलाएं भाग लेंगी। यह सभा बहुत बड़ी होगी। इसलिए आमंत्रित लोगों के बीच शारीरिक दूरी बनाए रखने के लिए सावधानी बरती जा रही है। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर बैठने की व्यवस्था की जा रही है।
डीएम ने कहा कि बापू सभागार में शराबबंदी और दहेज और बाल विवाह रोकने के लिए सरकार के विशेष अभियान पर एक फोटो प्रदर्शनी का भी आयोजन किया जा रहा है। यहां पर जीविका महिलाओं द्वारा बनाए गए बांस उत्पादों और नीर उत्पादों के स्टॉल भी लगाए जाएंगे।
इससे पहले शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार के 2016 के शराब निषेध कानून से उत्पन्न जमानत याचिकाओं को सामना करते हुए राज्य सरकार से पूछा था कि क्या उसने कानून बनाने से पहले अध्ययन किया था। इसके साथ ही क्या मुकदमेबाजी की धार को पूरा करने को न्यायिक बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाया था, जिसका पालन कराया जाना था।
इस दौरान शीर्ष अदालत ने यह भी रेखांकित किया कि सुप्रीम कोर्ट की लगभग हर पीठ बिहार निषेध और उत्पाद शुल्क अधिनियम से उत्पन्न होने वाली याचिकाओं से निपट रही है। इसलिए यह जानना अनिवार्य हो गया है कि क्या बिहार सरकार ने कानून से पहले अध्ययन किया था और बुनियादी ढांचे को बदलाव के अनुसार मजबूत किया था।
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