Home Muzaffarpur Muzaffarpur: अंग्रेज चले गए, पर नहीं बदला गुप्ता जी की लस्सी का टेस्ट, 78 साल से बरकरार है बादशाहत

Muzaffarpur: अंग्रेज चले गए, पर नहीं बदला गुप्ता जी की लस्सी का टेस्ट, 78 साल से बरकरार है बादशाहत

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Muzaffarpur: अंग्रेज चले गए, पर नहीं बदला गुप्ता जी की लस्सी का टेस्ट, 78 साल से बरकरार है बादशाहत

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रिपोर्ट-अभिषेक रंजन

मुजफ्फरपुर. मुजफ्फरपुर में लस्सी का नाम लेते ही लोगों की जुबान पर गुप्ता जी लस्सी वाले की दुकान का नाम याद आ जाता है. जी हां! शहर के मोतीझील इलाके के धर्मशाला रोड की यह दुकान बेहद पुरानी है. इस दुकान के संचालक बताते हैं कि आज से 78 साल पहले यानी गुलाम भारत के दिनों से ही लस्सी की यह दुकान मोतीझील में चल रही है.

इस दुकान की तीसरी पीढ़ी के संचालक वासु गुप्ता बताते हैं कि यह दुकान उनके दादा जी ने खोली थी. दुकान की जो प्रतिष्ठा उन्होंने बनाई थी, उसे आज भी बरकार किए हुए थे. ऐसे में अगर गर्मी से आपका भी गला सूख रहा हो और चाहते हैं कि लस्सी से गले को गीला करें, तो मोतीझीलके धर्मशाला रोड की गुप्ता जी लस्सी दुकान आ सकते हैं.

78 साल पहले बेचते थे 70 पैसे प्रति ग्लास
वाशु गुप्ता बताते हैं कि उनकी यह दुकान आजादी से पहले की है. पहले जब दादा जी ने इस दुकान की शुरुआत की थी. उस वक्त तो लस्सी की कीमत मात्र 70 पैसे प्रति ग्लास थी. आज यह कीमत 70 रुपया प्रति ग्लास पर पहुंच गया है. वाशु ने बताया 70 पैसे से 70 रुपये प्रति ग्लास तक के सफर में आज भी वही स्वाद है, जो 78 साल पहले थी.

क्वालिटी खराब न हो इसलिए नहीं रखते स्टाफ
वाशुगुप्ता बताते हैं कि उनके द्वारा बनाए गए लस्सी में खोआ और ड्राई फ्रूट एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. लस्सी में डाले जाना वाला खोआ भी स्पेशल होता है, जो उन्हीं के यहां तैयार किया जाता है. वासु बताते हैं कि उनकी दुकान पर रोजाना 300 ग्लास लस्सी की खपत ही जाती है. सुबह से शाम तक लोग लस्सी पीने आते रहते हैं. गुप्ता जी की लस्सी दुकान पूरे मुजफ्फरपुर में प्रसिद्ध है. वासु गुप्ता बताते हैं क्वालिटी को मेंटेन करने के लिए उन लोगों ने कोई भी बाहरी स्टाफ हायर नहीं किया है. घर के सभी लोग मिलकर लस्सी बनाते हैं और दुकान चलाते हैं.

टैग: खाना, Muzaffarpur news

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