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रिपोर्ट- विक्रम कुमार झा
पूर्णिया.अगर आपका भी आम का बगीचा है और आप इसमें ज्यादा फल का उत्पादन चाहते हैं, तो यह खबर आपके लिए जरूरी है. आम के मंजर को बचाने के लिए समय समय पर कैसे देख रेख करें. अभी मधुवा कीडा़ लगने के कारण मंजर गिर जाता है, लेकिन समय रहते अगर किटनाशक का प्रयोग करें, तो मंजर को गिरने से रोक सकते हैं. आइए जानते हैं कृषि विज्ञान केंद्र जलालगढ़ के वरीय वैज्ञानिक डॉ सीमा कुमारी ने क्या बताया है उपाय.
मंजर आते समय क्या करें और क्या न करें
आपके शहर से (पूर्णिया)
कृषि विज्ञान केंद्र जलालगढ़ के वरीय वैज्ञानिक डॉ.सीमा कुमारी ने कहा आम के नये बागों में या जो बाग अभी फलन में नहीं है, उनके आस-पास चारों तरफ घास-फूस की पुआल या पॉलिथीन की मल्चिंग को हटा कर हल्की जुताई- गुड़ाई करके पेड़ की उम्र के अनुसार खाद एवं उर्वरकों का प्रयोग करें, यदि आप का पेड़ एक वर्ष का है, तो उसमें 50-55 ग्राम डाइअमोनियम फॉस्फेट ,85 ग्राम यूरिया एवं 75 ग्राम मुइरेट ऑफ़ पोटाश एवं 5 किग्रा खूब अच्छी तरह से सडी गोबर की खाद पौधे के चारों तरफ मुख्य तने से 1 दूर (पेड़ की कैनोपी के अनुसार) रिंग बना कर खाद एवं उर्वरकों का प्रयोग करना चाहिए.यह डोज एक वर्ष के पौधे के लिए है, एक साल के पेड़ के डोज में पेड़ की उम्र से गुणा करें.
मधुवा कीड़ा से ऐसे बचाएं अपने आम के मंजर को
ऐसे बागों में आवश्यकतानुसार हल्की-हल्की सिंचाई करना श्रेयकर रहता है. ऐसे बाग जहां पर दीमक की समंस्या हो क्लोरोपरीफास 20 EC 2.5 मीली/लीटर की दर से मुख्य तने या उसके आस-पास की मिट्टी में छिड़काव करने से दीमक की उग्रता में कमी आती है.ऐसे बाग जिसमें निकट भविष्य में फूल आनेवाले हो उसमें इमिडाक्लोप्रीड (17.8 SL) आधा मीली/लीटर एवं हेक्साकॉनाजोल 1 मिलीलीटर/लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने से क्रमशः हापर एवं चूर्णिल आसिता के साथ साथ अन्य फफूंद जनित रोगों की उग्रता में कमी आती है. यदि मंजर खुल कर ठीक से नहीं निकल रहा हो तो घुलनशील सल्फर फफुंदनाशक की 2 ग्राम मात्रा को प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने से मंजर खुलकर आते है एवं पॉऊडरी मिलडयूव रोग नहीं लगता है. आम एवं लीची में एक बार फूल के खिल जाने के बाद किसी भी प्रकार का कृषि रसायन का छिड़काव नहीं करना चाहिए. क्योंकि इससे फूल को नुकसान पहुंचने की संभावना रहती है एवं परागण प्रभावित होता है.
मधुमक्खी का बक्सा रखने से होगा लाभ
आम के बाग से अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए बाग में मधुमक्खी की कालोनी बक्से रखना अच्छा रहेगा. इससे परागण अच्छा होता है तथा फल अधिक मात्रा में लगता है.आम के बाग में अच्छी फलन के लिए आवश्यक है की 15-20 मधुमक्खी के बक्शे प्रति हेक्टेयर की दर से रखे जाय. फूल के खिल जाने के बाद से लेकर फल लग जाने के मध्य सिंचाई नहीं करनी चाहिए.किसी भी प्रकार के कृषि रसायनों के छिडकाव से बचना चाहिए, अन्यथा नुकसान होने की सम्भावना प्रबल रहती है. फल के लग जाने के बाद फल को झड़ने से बचने के लिए आवश्यक है की प्लानोफीक्स 1 मीली प्रति 3 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए.जिन बागों में फल मक्खी की समस्या गंभीर हो वहां इसके नियंत्रक के लिए मिथाइल पूजीनाल फेरोमन ट्रैप 10 ट्रैप/हेक्टेयर की दर से प्रयोग करना चाहिए. फल लग जाने के बाद बाग़ की मिट्टी का हमेशा नम रहना आवश्यक है, अन्यथा फल के झड़ने की सम्भावना ज्यादा रहती है, इसलिए आवश्यक है की नियमित हल्की सिंचाई करते रहे.
मंजर में फल लगने के बाद इन किटनाशक का करें छिड़काव
फल लगने के एक सप्ताह बाद प्लैनोफिक्स की 1 मि.ली. दवा को प्रति 3 लीटर की दर से पानी में घोलकर एक छिड़काव करके फलों को झड़ने से बचाया जा सकता है. फल लगने के 15 दिन बाद बोरेक्स की 5 ग्राम मात्रा को प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर 15 दिनों के अंतराल पर दो या तीन छिड़काव करने से फलों का झड़ना कम हो जाता है, मिठास में वृद्धि होती है तथा फल के आकार एवं रंग में सुधार होने के साथ-साथ फल के फटने की समस्या में भी कमी आती है.
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पहले प्रकाशित : 22 फरवरी, 2023, 11:55 IST
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