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Bihar Politics : बिहार की राजनीति में इन दिनों एक चर्चा तेज है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अनिर्णय की स्थिति में हैं। चाहें उनके ही नेताओें के उल जुलूल बयान हों या फिर उपेंद्र कुशवाहा की चुनौती, नीतीश जवाब देने के बजाए चुप्पी साध ले रहे हैं। सवाल ये है कि आखिर ऐसा क्या हो गया…
गुलाम रसूल बलियावी ने हर सीमा तोड़ डाली
नीतीश कुमार के लिए या यूं कहें कि उनके व्यक्तित्व के आगे गुलाम रसूल बलियावी का बयान काफी परेशानी भरा रहा है। पहले तो गुलाम रसूल बलियावी ने शहर दर शहर कर्बला बनाने की बात कह कर हिंदू मुस्लिम एकता के साथ रहने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सामाजिक सम्मान को धुंधला करने का काम किया। उस पर हाल में भारतीय सैनिकों पर बयान दे कर सेना को नीचा दिखाने का भी काम किया।
क्या कहा गुलाम रसूल बलियावी ने
जदयू के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधान पार्षद गुलाम रसूल बलियावी ने रविवार को नवादा में कहा कि ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पाकिस्तान के आतंकियों से निपटने में डर लग रहा है, तो सेना में 30 प्रतिशत मुस्लिमों को जगह दे दो। लोहे को लोहे से कटा जाता है न कि गाजर मूली से। यहां गुलाम रसूल बलियावी ने देश के सैनिकों की तुलना गाजर मूली से कर डाली।’ वे यहीं नहीं रुके, उन्होंने कहा कि ‘जब पाकिस्तान मिसाइल बनाकर भारत को आंखे दिखा रहा था तो नागपुर से कोई बाबा जवाब देने नहीं आए थे। मुसलमान के बेटे एपीजे अब्दुल कलाम ने जवाब दिया था।’
भाजपा ने जताया जबरदस्त विरोध
जदयू नेता गुलाम रसूल बलियावी के बयान पर भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा कि ‘गुलाम रसूल बलयावी ने जो कहा वह सनातन धर्म, धार्मिक नेताओं और सेना का अपमान है। अगर गुलाम रसूल बलियावी को मुसलमानों की इतनी ही चिंता है, तो उन्हें 80 फीसदी पसमांदा मुसलमानों को उनकी संख्या के अनुपात में उचित सम्मान, न्याय और भागीदारी देने के लिए धार्मिक सुधार आंदोलन चलाना चाहिए।’
उपेंद्र कुशवाहा के विरोध का भी नहीं मिला जवाब
सांगठनिक स्तर पर विधान पार्षद और जदयू नेता उपेंद्र कुशवाहा ने नीतीश कुमार पर कई बडे आरोप लगाए । कुशवाहा ने नीतीश कुमार पर RJD-JDU की डील का आरोप लगाते उन्हें पार्टी को कमजोर करने वाला बताया। जदयू में आने को ले कर भी उन्होंने नीतीश कुमार पर आरोप लगाया कि वे पार्टी को संभालने और नेतृत्व देने को आए थे। पर नीतीश अब नेतृत्व तेजस्वी को सौंपने की बात कर धोखा दे रहे हैं।’ लेकिन यहां भी नीतीश कुमार ने उपेंद्र कुशवाहा पर करवाई करने के बजाए चुप रहना कबूल किया।
मंत्रिमंडल विस्तार पर भी तेजस्वी ने लगाया विराम
सार्वजनिक रूप से नीतीश कुमार ने स्वीकार किया था कि बिहार में मंत्रिमंडल विस्तार होगा। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह ने भी सीएम नीतीश के हवाले से ही यह बयान दिया कि कांग्रेस से दो मंत्री बनेंगे। बाबजूद नीतीश कुमार इस मुद्दे पर एक्शन लेने के बजाय चुप हो लिए। और जब बात सार्वजनिक प्लेटफार्म पर आई, पत्रकारों ने सवाल पूछे तो तेजस्वी के पाले में गेंद डाल कर खुद मौन हो गए। बहरहाल ,राजनीतिक गलियारों में इस चुप्पी को नीतीश कुमार की कमजोरी माना जा रहा है। ऐसा माना जा रहा है कि सुशासन बाबू संगठन और सरकार के स्तर पर अनिर्णय की स्थिति में हैं।
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