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… मानो ट्रेन के डिब्बे से झांक रहे बच्चे
राजकीय विद्यालय नरकपी की कक्षाओं के विद्यार्थी जब दरवाजे से झांकते है तो ऐसा लगता है कि जैसे यात्री ट्रेन के डिब्बे से झांक रहे हैं। यहां बच्चे जमकर पढ़ाई करते हैं और खूब मौज मस्ती भी। बच्चों को विद्यालय में आने पर तनिक भी तनाव महसूस नहीं होता बल्कि खूब खुशियां मिलती है। यह जो विद्यालय है वह ट्रेन के शक्ल में है और बच्चे समय से पहले विद्यालय पहुंच जाते हैं और पढ़ाई का आनंद लेते हैं।
पढ़ाई में लगता है मन
संजना और अंशिका, जो कि चौथी क्लास की छात्रा हैं उन्होंने बताया कि उनलोगों ने अभी तक ट्रेन नहीं देखा था। लेकिन विद्यालय में ट्रेन बन जाने से ट्रेन को भी देख लिया। और कैसे बैठा जाता है वो भी जान लिया। हमें काफी अच्छा लगा और अब पढ़ाई में भी ध्यान खूब लगता है। शिक्षकों ने बताया कि बैगलेस शनिवार को बच्चों के बीच ट्रेन से संबंधित विभिन्न जानकारी दी जाती है।
सेल्फी लेकर सोशल मीडिया पर डालते हैं ग्रामीण
विद्यालय के प्रधानाध्यापक लालमोहन सिंह ने विद्यालय को ट्रेन का रूप देने में अहम भूमिका निभाई है। उन्होंने बताया कि आवंटित राशि के अनुसार सिर्फ सामान्य तरीके से विद्यालय का रंग रोगन किया जा सकता था। लेकिन मन में कुछ अलग हटकर करने की इच्छा थी। यह इच्छा इसलिए थी कि बच्चे ज्यादा से ज्यादा आकर्षित हो और विद्यालय में समय दें ताकि उनके प्रतिभा को तराशा जा सके। बस इसी सोच के तहत सभी जुड़े और इसमें खुद स्वेच्छा से निशुल्क मजदूरी की और ट्रेन का आकार दिया। स्थिति यह हो गई है कि शाम को ग्रामीण युवा यहां आकर सेल्फी लेते हैं और उसे सोशल मीडिया पर अपलोड करते हैं।
सरकार की ओर से भेजी गई रंग रोगन के लिए राशि
नक्सल प्रभावित क्षेत्र मदनपुर का नरकपी गांव स्थित राजकीय मध्य विद्यालय सरकार की सोच से आगे बढ़कर काम कर रहा है। अपने कार्यों की वजह से सुर्खिया बटोर रहा है। सरकार के द्वारा विद्यालय के रंग रोगन के लिए राशियां भेजी गई ताकि विद्यालय के कक्षाओं का आकर्षक पेंटिंग कर शिक्षक बच्चों को पढ़ाई के प्रति आकर्षित हो सकें।
ट्रेन का शक्ल देने वाला बना जिले का पहला स्कूल
सरकार की सोच से आगे बढ़कर शिक्षकों ने पूरे विद्यालय को ट्रेन का शक्ल दे दिया। अब स्थिति यह हो गई कि बच्चे विद्यालय तो आते हैं लेकिन जाने का नाम नहीं लेते। इस प्रकार विद्यालय को ट्रेन का शक्ल देने वाला यह विद्यालय जिले का पहला विद्यालय बन गया।
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