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‘देश की खेती घाटे में, किसानों की हालत खराब’
आरजेडी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने कहा कि ऐसा नहीं है कि मोदी सरकार देश की हालत से नावाकिफ है। देश के 81 फीसदी से ज्यादा लोगों को केंद्र सरकार प्रति माह पांच किलो मुफ्त राशन दे रही है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी योजना को लेकर दावा किया था कि मैंने किसी के चूल्हे को बुझने नहीं दिया। शिवानंद तिवारी ने ये भी कहा कि देश की खेती घाटे में है और किसानों की हालत खराब है। केंद्र की मोदी सरकार इसे कुबूल भी करती है। इसलिए सरकार 2018 के दिसंबर महीने से किसान सम्मान योजना चला रही है। इस योजना के तहत तीन किस्तों में रजिस्टर्ड किसान को छह हजार रुपए सालाना दे रही है।
‘बजट में बेरोजगारी से निपटने का कोई प्रावधान नहीं’
शिवानंद तिवारी के मुताबिक देश बेरोजगारी के अत्यंत गंभीर संकट से जूझ रहा है। लेकिन इस चुनौती का मुकाबला करने का कोई गंभीर प्रयास इस बजट में दिखाई नहीं दे रहा है। आरजेडी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ने कहा की आश्चर्यजनक है कि जिस मनरेगा योजना ने संकट काल में करोड़ों श्रमिकों को सहारा दिया। उस योजना में 2022-23 के 78 हजार करोड़ रुपए के मुकाबले राशि घटा कर 60 हजार करोड़ रुपए कर दिया गया।
खाद पर मिलने वाली सब्सिडी भी घटाया गया
बाजार में खाद के मूल्य में अच्छी खासी वृद्धि हुई है। अनाज महंगा हुआ है लेकिन सरकार ने खाद पर मिलने वाली रियायत (सब्सिडी) को बढ़ाने के बदले घटा दिया है। शिवानंद तिवारी ने कहा कि जहां 2022-23 में जो रियायत 2.25 लाख करोड़ रुपए थी, उसको घटा कर 1.75 लाख करोड़ रुपए कर दिया गया है। खाद्यान्नों में मिलने वाली रियायत (फूड सब्सिडी) भी 2022-23 के 2.87 लाख रुपए के मुकाबले 1.97 लाख रुपए कर दिया गया है। इन सबका नतीजा होगा कि किसानों की खेती महंगी होगी और अन्न और महंगा होगा।
अल्पसंख्यक मंत्रालय का बजट कम किया गया
शिवानंद तिवारी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ दिन पहले अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से मुसलमानों को भाजपा से जोड़ने का प्रयास करने की सलाह दी थी। इसलिए उम्मीद थी कि अल्पसंख्यकों के उत्थान की चल रही योजनाओं में वृद्धि होगी। लेकिन बजट में मामला उलटा ही नजर आ रहा है। शिवानंद तिवारी ने कहा कि मोदी सरकार ने अल्पसंख्यक मंत्रालय के बजट में 2022-23 के मुकाबले 2023-24 में 38 फीसद की कटौती कर दी है।
बजट में बेरोजगारी दूर करने का प्रावधान नहीं
आरजेडी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का कहना है कि बजट में मेरिट छात्रवृत्ति, हुनर योजना, तकनीकी पढ़ाई में पिछले बजट में आवंटन 365 करोड़ रुपए से घटा कर 44 करोड़ रुपए कर दिया गया। उन्होंने कहा कि इस बजट में बेरोजगारी दूर करने की कोशिश नहीं दिखाई दे रही है। रेलवे या सड़क के क्षेत्र में आवंटन बढ़ाने से रोजगार का सृजन नहीं होता है बल्कि ये कॉरपोरेट सेक्टर के उत्पादन को ही मदद पहुंचाता है। शिवानंद तिवारी ने कहा कि इसलिए ये कहना गलत नहीं होगा कि ये बजट भविष्य की चिंता बढ़ाने वाला बजट है।
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