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डॉ. लोहिया के समाजवादी विचारों से प्रेरित हुए
जब शरद यादव छात्र राजनीति में मशगूल थे तब देश में लोकनायक जय प्रकाश नारायण के लोकतंत्र वाद और डॉ. राम मनोहर लोहिया के समाजवाद की क्रांति की लहरें परवान चढ़ रहीं थीं। शरद यादव भी इनसे खासे प्रभावित हुए। डॉ. लोहिया के समाजवादी विचारों से प्रेरित होकर शरद ने अपने मुख्य राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। युवा नेता के तौर पर सक्रियता से कई आंदोलनों में भाग लिया और आपातकाल के दौरान मीसा बंदी बनकर जेल भी गए।
27 की उम्र में लोकसभा चुनाव जीता, पहली बार संसद पहुंचे
शरद यादव के राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1971 से हुई थी। वे कुल सात बार लोकसभा सांसद रहे जबकि तीन बार राज्यसभा सदस्य चुने गए। वे 27 साल की उम्र में पहली बार 1974 में मध्य प्रदेश की जबलपुर लोकसभा सीट से सांसद चुने गए थे। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। शरद बाद में उत्तर प्रदेश की बदायूं लोकसभा सीट और बिहार की मधेपुरा लोकसभा सीट से भी सांसद चुने गए।
कांग्रेस के दिग्गज नेता गोविंद दास को हराकर चर्चा में आए
शरद यादव का नाम राष्ट्रीय स्तर पर तब चर्चा में आया जब 1974 में जबलपुर में हुए लोकसभा के उपचुनाव में उन्होंने विपक्ष के साझा उम्मीदवार के रूप में कांग्रेस के दिग्गज नेता गोविंद दास को चुनाव हराया। इसके पहले वह जबलपुर विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष के रूप में देश के छात्र एवं युवा आंदोलन का एक बड़ा चेहरा बन चुके थे। 1984 में वह अमेठी लोकसभा सीट से तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के खिलाफ चुनाव लड़े।
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