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औरंगाबाद कोर्ट ने दी दुकानदार को सजा।
– फोटो : अमर उजाला
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तबलीगी जमात के 17 सदस्यों को 2020 में लॉकडाउन उल्लंघन पर कोर्ट की कार्यावधि तक कारावास और ढाई-ढाई हजार का जुर्माना लगाया गया था तो देशभर में चर्चा थी। अब करीब ढाई साल बाद लॉकडाउन उल्लंघन के बाकी मामलों में सजा सुनाए जाने की शुरुआत एक तरह से हो गई है। बिहार के औरंगाबाद की एक अदालत ने वैश्विक महामारी कोरोना वायरस को लेकर 2020 में लगाए गए लॉकडाउन का उल्लंघन करने के आरोप में एक दुकानदार को सजा दी है। कोर्ट ने सजा के रुप में दुकानदार पर 2100 रुपए का जुर्माना लगाया है। इसके साथ ही यह बहस छिड़ गई है कि उस दौर के सभी केस में अब इसी आधार पर सजा सुनाई जा सकेगी।
दुकान खोलने के केस में दर्ज हुई थी प्राथमिकी
औरंगाबाद व्यवहार न्यायालय की प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी नेहा दयाल की अदालत ने मंगलवार को रफीगंज थाना कांड संख्या 90/20 में सुनवाई करते हुए मामले के एकमात्र आरोपी को दोषी ठहराया। अधिवक्ता सतीश कुमार स्नेही ने बताया कि मामले के सूचक रफीगंज के तत्कालीन थानाध्यक्ष राजीव रंजन ने प्राथमिकी में आरोप लगाया था कि शेरा बिगहा निवासी गुलाम सरवर ने 2020 के लॉकडाउन का उल्लंघन करते हुए दुकान खोल रखी थी। इसे लेकर दुकानदार को गिरफ्तार कर दुकान को सील करते हुए प्राथमिकी दर्ज की गई थी। इसी मामले में प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट ने 2100 रुपए का जुर्माना लगाया है, जिसे आरोपी ने औरंगाबाद नजारत औरंगाबाद में जमा कर दिया है।
अब बाकी लंबित मामलों में भी आएगा फैसला
राज्य में लॉकडाउन के दौरान कई तरह के उल्लंघन के केस सामने आए थे और इसमें प्राथमिकी दर्ज की गई थी। जिन मामलों में प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी है, उनमें से ज्यादातर में फाइनल रिपोर्ट लगकर कोर्ट में सुनवाई के लिए लंबित बताए जाते हैं। पटना हाईकोर्ट के अधिवक्ता किशोर कुणाल के अनुसार औरंगाबाद वाले केस के आधार पर अब बाकी लंबित केसों का भी फैसला जल्दी दिया जा सकता है। तबदीगी जमात वाला केस उस हिसाब से अलग था, इसलिए उस आधार पर बाकी केस का फैसला संभव नहीं था। औरंगाबाद वाला केस आधार बन सकता है।
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