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शराबबंदी कानून के समीक्षा की जरूरत- संजीव कुमार
संभवत: यह पहला मौका है जब मुख्यमंत्री को अपनी ही पार्टी के विधायक से इस तरह की मांग का सामना करना पड़ा है। परबत्ता के विधायक डॉ. संजीव ने इस मुद्दे को उठाया है। बिहार विधानसभा का शीतकालीन सत्र चल रहा है। इसी सत्र के पहले दिन जेडीयू विधायक ने इस मुद्दे पर आवाज बुलंद की। हमें फिर से कानून की समीक्षा करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि शराब कानून के तहत जेल भेजे गए 4 लाख लोगों में ज्यादातर गरीब हैं, जो अपने ऊपर लगे भारी जुर्माने को चुकाने में असमर्थ हैं। वहीं प्रभावशाली और संपन्न लोग पैसे के बल पर जेल से निकलने सफल रहते हैं।
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‘शराबबंदी तब तक सफल नहीं… जब तक आम लोगों का समर्थन नहीं मिले’
जेडीयू विधायक संजीव कुमार ने कहा, ‘कल तक जिसे ‘अच्छा’ माना जाता था, वह अब ‘क्रिमिनल अफेंस’ बन गया है। जहां लोग शराबबंदी कानून को स्वीकार करने से लगातार इनकार कर रहे, वहीं पुलिस की ओर से इसका दुरुपयोग गंभीर चिंता का विषय बन गया है।’ उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस और माफियाओं की सांठगांठ से राज्य में नियमित रूप से शराब की बड़ी खेप पहुंच रही है। प्रतिबंध तब तक सफल नहीं हो सकता जब तक कि इसे आम आदमी का समर्थन नहीं मिले।
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नीतीश के फैसले पर उनकी ही पार्टी में उठे सवाल
जेडीयू विधायक ने ये बातें ऐसे समय कही हैं जब हाल ही मुख्यमंत्री ने जेडीयू राष्ट्रीय परिषद की बैठक शराबबंदी कानून पर टिप्पणी की थी। उन्होंने अपने संबोधन में फैसले का पुरजोर बचाव करते हुए कहा कि यह सभी दलों की सहमति से लागू किया गया था। उन्होंने कांग्रेस की ओर से आ रही समीक्षा की मांग पर भी रिएक्ट किया था। हालांकि, महागठबंधन में शामिल सहयोगी पार्टियों की ओर से अब ताड़ी पर प्रतिबंध हटाने के लिए सरकार पर दबाव डाला जा रहा। वो ये कहते हुए कि यह एक ‘प्राकृतिक रस’ है और प्रतिबंध के कारण लाखों गरीब बेरोजगार हो गए हैं और जीवित रहने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
कई दलों ने की है शराबबंदी की समीक्षा की मांग
बोचहां से आरजेडी विधायक अमर पासवान ने कहा कि शराबबंदी ठीक है, लेकिन ताड़ी बंदी की समीक्षा की जानी चाहिए। इससे लाखों गरीब परिवार लंबे समय से पारंपरिक व्यवसाय से जुड़े हुए हैं। पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने भी ताड़ी प्रतिबंध पर इसी तरह की चिंता जताई थी और मुख्यमंत्री से इसे नशीले पदार्थों की सूची से हटाने का आग्रह किया था। मांझी ने हाल ही में कहा था, ‘मेरी निजी राय है कि ताड़ी पर प्रतिबंध नहीं लगाया जाना चाहिए था। यह एक प्राकृतिक रस है और ताड़ी के कारोबार से लाखों लोग जुड़े हुए हैं।’
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