[ad_1]
बिहार की राजनीति में लंबे समय तक हाशिए पर रहे ‘भूमिहार’ एक बार फिर से राजनीतिक दलों के लिए खास हो गए हैं. हालांकि, लालू प्रसाद के ‘भूरा बाल साफ’ करने के अभियान के बावजूद भूमिहारों ने बिहार की राजनीति में अपने को मजबूती से खड़ा रखा. यही कारण है कि बिहार में जातियों के खंड-खंड बंटने के बाद हर राजनीतिक दल की पहली पसंद भूमिहार बन गए हैं. कांग्रेस ने ब्राह्मण की जगह भूमिहार जाति से आने वाले अखिलेश प्रसाद सिंह को अपना प्रदेश अध्यक्ष बनाया है.
जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह भी इसी जाति से आते हैं. बीजेपी ने भी तीन माह पहले सदन में विधायक दल का नेता विजय कुमार सिन्हा को बनाया है. नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा भी भूमिहार हैं. लोजपा (रामविलास) प्रमुख चिराग पासवान ने भी अपने बगल वाली कुर्सी अर्थात् राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की कुर्सी भूमिहार जाति से आने वाले जहानाबाद के पूर्व सांसद डॉ. अरुण कुमार को दी है.
बिहार में क्यों खास हो गए भूमिहार
करीब एक दशक के बाद बिहार में प्रत्येक राजनीतिक दलों के लिए भूमिहार क्यों खास हो गए हैं? पूर्व मंत्री रामजतन सिन्हा इस सवाल का जवाब देते हुए कहते हैं कि बिहार में 90 के दशक में लालू प्रसाद ने सवर्णों के खिलाफ बिहार के दलित, पिछड़ा और अति पिछड़ा को एकजुट कर एक मजबूत फ्रंट बनाया था, जो अब खंड-खंड में विभक्त हो गया. यही कारण है कि बिहार में सभी राजनीतिक दलों को सवर्णों की याद सताने लगी है. प्रत्येक दल संगठित सवर्णों को अपने पक्ष में करने की कवायद शुरू कर चुके हैं. चूंकि भूमिहार ने सवर्णों में सबसे ज्यादा फ्रंट में रहकर लालू प्रसाद के ‘भूरा बाल साफ करो’ अभियान का जवाब दिया था, इसलिए राजनीतिक दलों की ये पहली पसंद बन गए हैं.
आपके शहर से (पटना)
वरिष्ठ पत्रकार लव कुमार मिश्रा कहते हैं कि बिहार में चुनाव भले ही दो साल के बाद होने हैं, लेकिन सभी राजनीतिक पार्टियां अभी से ही अपने समीकरण बनाने में जुट गई हैं. सभी पार्टियों ने सवर्ण वोटरों को साधने के लिए अपने दल में शीर्ष पद पर सवर्ण को पदस्थ किया है. जेडीयू, आरजेडी, बीजेपी या फिर कांग्रेस, इन चारों पार्टियों के शीर्ष पद पर किसी न किसी रूप में सवर्ण समाज के नेता ही शीर्ष पर हैं. इन सभी राजनीतिक दलों का टारगेट ऊंची जाति के वोटर हैं. पिछड़ों की राजनीति को बढ़ावा देकर स्थापित हुई यह पार्टियां अब सवर्ण वोटरों को रिझाने में जुटी हैं.
बिहार विधानसभा में 21 सीटों पर कब्जा
बिहार विधानसभा की 243 में से 21 सीटों पर अभी भी भूमिहारों का कब्जा है. अगर सवर्णों की बात की जाए तो विधानसभा में इनकी संख्या सबसे ज्यादा है. 243 सीटों वाली विधानसभा में 64 विधायक सवर्ण जाति से आते हैं. किसी एक जाति की बात करें तो यादव जाति से सबसे ज्यादा 54 सदस्य विधानसभा पहुंचे हैं. जबकि पिछड़ी और अति पिछड़ी जाति से 46 सदस्य विधानसभा पहुंचे हैं. 39 विधायक दलित और महादलित जाति से हैं और सदन में मुस्लिम सदस्यों की संख्या 20 है. साफ है कि अगर सवर्ण एकजुट होते हैं तो वे ही तय करेंगे कि बिहार में किसकी सरकार बनेगी. इसकी बानगी बिहार के कुढ़नी-बोचहां विधानसभा उपचुनाव में दिखा. कुढ़नी विधानसभा उपचुनाव में भूमिहारों ने जब बीजेपी को अपना समर्थन दिया तो यहां से बीजेपी हारी हुई बाजी जीत गई. वहीं बोचहां विधानसभा उपचुनाव में भूमिहारों ने महागठबंधन को अपना समर्थन दिया तो यह सीट महागठबंधन ने जीत ली.
बोचहां विधानसभा जीत के बाद राजद ने इसे कैश करने का प्रयास शुरू कर दिया और एक नया नारा दिया भूमाई (भूमिहार-मुस्लिम-यादव). तेजस्वी यादव भूमिहारों को अपने पक्ष में करने के लिए उनकी सभा में जाने लगे तो बीजेपी ने अपने परंपरागत वोट बैंक को बचाने की कवायद शुरू की. बीजेपी ने बयान वीर नेताओं को साइड लाइन किया और भूमिहार के लड़ाकू नेता (जो महागठबंधन पर आक्रामक थे) को फ्रंट पर लाते हुए विजय कुमार सिन्हा को विधानसभा का नेता प्रतिपक्ष बनाया. वहीं नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के विरोध में मुखर रुख अपनाने वाले सम्राट चौधरी को विधान परिषद में विपक्ष का नेता बनाया. बीजेपी को इसका कुढ़नी विधानसभा उपचुनाव में लाभ भी मिला.
किसके पास कितने वोट हैं
देश में जातिगत जनगणना 1931 में हुई थी. इसके अनुसार बिहार में 13% ब्राह्मण, राजपूत एवं भूमिहार थे. यादव, कुर्मी अन्य पिछड़ी जाति 19.3%, अत्यंत पिछड़ा 32%, मुस्लिम 12.5% और अनुसूचित जाति एवं जनजाति 23.5% थे. लेकिन, वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबिक बिहार में 22 % ब्राह्मण,राजपूत, भूमिहार और कायस्थ हैं. वहीं यादव, कुर्मी अन्य पिछड़ी जाति और अत्यंत पिछड़ी जाति 47 % है, इसमें सबसे ज्यादा यादव 12 प्रतिशत हैं. कुर्मी और कुशवाहा मिलाकर साढ़े आठ प्रतिशत हैं. अनुसूचित जनजातियां 1.3% हैं. अनुसूचित जाति (दलित और महादलित) 16 % और मुसलमान 16 % है. बिहार में अन्य 0.4% है. लालू प्रसाद के शुरुआती कार्यकाल के बाद बिहार में जातियां खंड-खंड में विभक्त हो गई. इसका सीधा लाभ बिहार की राजनीति में भूमिहारों को मिल रहा है.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|
टैग: बिहार के समाचार, बिहार न्यूज लाइव, News18 Bihar Jharkhand
प्रथम प्रकाशित : 12 दिसंबर, 2022, शाम 4:31 बजे IST
[ad_2]
Source link