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रिपोर्ट- अभिषेक रंजन
मुजफ्फरपुर. एक समय था जब किसी को लगातार काम करते हुए देखने पर लोग उसे व्यंग के तौर पर कोल्हू का बैल कहा करते थे. मशीनीकरण के दौर में कोल्हू के बंद होते चले जाने के बाद ऐसे जगहों पर बैल देखना भी बंद होने लगा. बावजूद अब भी खादी भंडार जैसे जगहों पर कोल्हू तो चलता है, लेकिन इसे चारों और घुमाने के लिए बैल का जगह बिजली मोटर ने ले लिया है. मुजफ्फरपुर के खादी भंडार में अब भी कोल्हू से सरसों का तेल तैयार किया जा रहा है. कच्ची घानी के साथ शुद्धता की गारंटी देने वाले इस कोल्हू से तैयार तेल की कीमत बाजार में बिकने वाली सरसों तेल से थोड़ी ज्यादा होती है.
10 किलो सरसों से तैयार होता है 3.30 किलो तेल
मुजफ्फरपुर के खादी भंडार कैंपस में लकड़ी के कोल्हू से शुद्ध सरसों का तेल तैयार किया जाता है. इस सरसों तेल की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें किसी भी प्रकार का कोई केमिकल या अन्य चीज नहीं मिलाया जाता है. सरसों को लकड़ी के मोटर संचालित कोल्हू से पेराई की जाती है. उसके बाद जो तेल निकलता है, उससे डस्ट को छानकर सीधे बाजार में ग्राहकों के लिए उपलब्ध करा दिया जाता है. खादी भंडार के व्यवस्थापक सरोज कुमार बताते हैं कि तकरीबन 10 किलो सरसों को 2 से 3 घंटे तक कोल्हू से पेराई करने पर 3.30 किलो तेल निकलता है.
100 रुपए किलो ज्यादा होती है कीमत
सरोज बताते हैं कि बड़े-बड़े मशीनों में तैयार सरसों के तेल का उत्पादन लागत कम होता है. साथ ही उसमें केमिकल भी मिलाया जाता है. इस कारण से वह तेल कम कीमत पर बाजार में लोगों को मिल जाता है. लेकिन कोल्हू से तेल तैयार करने में काफी वक्त लगता है इस कारण इसके उत्पादन लागत भी बढ़ जाती है यही कारण है कि कच्ची घानी का शुद्ध सरसों तेल बाजार में थोड़ा महंगा बेचना पड़ता है. कच्ची घानी के साथशुद्धता की 100% गारंटी होती है. अभी मुजफ्फरपुर खादी भंडार द्वारा तैयार किया गया शुद्ध सरसों का तेल 275 प्रति लीटर है, जबकि बाजार में विभिन्न ब्रांड के तेल 175-180 रुपए किलो मिल जाते हैं.
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प्रथम प्रकाशित : 12 दिसंबर, 2022, दोपहर 12:14 बजे IST
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