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Munger News: बिहार का यह ‘बेनाम’ स्कूल जहां के शौचालय भी बन गया कूड़ादान, पढ़ें पूरी रिपोर्ट?

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Munger News: बिहार का यह ‘बेनाम’ स्कूल जहां के शौचालय भी बन गया कूड़ादान, पढ़ें पूरी रिपोर्ट?

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रिपोर्ट- सिद्धांत राज

मुंगेर. पिछले दिनों जब बिहार के एक स्कूल के शौचालय की खराब व्यवस्था का मामला सामने आया था, तो खूब बवाल मचा था. लेकिन सच्चाई भी कमोवेश यही है. बिहार के ग्रामीण इलाके में स्कूलों की व्यवस्था अब भी पूरी तरह से ठीक नहीं हो पाई है. बिना चहारदीवारी और बिना शौचालय-चापाकल वाले स्कूल तो बिहार में अब भी कई मिल जाएंगे, पर मुंगेर ज़िले में एक ऐसा भी सरकारी स्कूल है, जिसकी पहचान तक छुपा ली गई है. स्कूल के भवनों का रंग-रोगन दो-तीन साल पहले किया हुआ दिख रहा है. दीवालों पर जागरूकता के लिए अन्य अच्छी-अच्छी बातें भी लिखी हुई है, लेकिन स्कूल का नाम-पता नहीं लिखा हुआ है. इस कारण से जो कोई भी इधर से गुजरता है, यही सोचने लगता है कि यहां के शिक्षकों ने ऐसा किस उद्देश्य से किया होगा.

मुंगेर के संग्रामपुर में है बिना नाम-पता का स्कूल
दरअसल, मुंगेर ज़िले के संग्रामपुर प्रखंड क्षेत्र के बलिया पंचायत के वार्ड-5 के तुरी एवं रविदास टोला में प्राथमिक विद्यालय कमरगामा है. रंग-रोगन किया हुआ भवन भी बना हुआ है. लेकिन इस स्कूल के भवन पर स्कूल का नाम और पता अंकित नही है. ग्राउंड रिपोर्टिंग के वक्त क्लास टाइम में छात्र-छात्रा बाहर में खेलते दिख रहे थे, वे सभी बिना स्कूली ड्रेस के ही थे. जबकि उस समय वहां एचएम को छोड़कर महिला शिक्षक और पुरुष शिक्षा सवेक मौजूद थे.

चापाकल में नहीं है हेड, गांव से पानी लाते हैं छात्र व शिक्षक
इस ‘बेनाम’ स्कूल की दुर्दशा का आलम यह है कि इसकी चहारदीवारी तक नहीं है. जिस गांव के बच्चे इस स्कूल में पढ़ते हैं, वहीं के कुछ लोग यहां के चापाकल को खराब कर देते हैं. इस कारण से बच्चे घर से बोतल में पानी लेकर आते हैं. जबकि बच्चों के लिए स्कूल में बनने वाले मध्याह्न भोजन के लिए भी गांव के किसी घर से पानी लाया जाता है. इस बात को खुद स्कूल की शिक्षिका और शिक्षा सेवक ही स्वीकार करते हैं. यदि किसी छात्रा या शिक्षक को प्यास लग जाती है, वे पढ़ाई छोड़ स्कूल से बाहर गांव के किसी घर से पानी लाने जाते हैं. स्कूल के चापाकल का हेड ही गायब था. यहां का शौचालय कूड़ेदान में तब्दील हो चुका है.

स्कूल के शिक्षिक और शिक्षा सेवक की सुने
रिपोर्टिंग के वक़्त स्कूल के एचएम पंकज कुमार कहीं मीटिंग में गए हुए थे. स्कूल में मौजूद सहायक शिक्षिका द्रौपदी कुमारी कहती हैं कि भवन पर स्कूल का नाम और पता क्यों नहीं लिखा है, यह तो एचएम ही बताएंगे. चापाकल को लेकर उन्होंने बताया कि बार-बार ठीक कराने पर भी ग्रामीणों के द्वारा उसे खराब कर दिया जाता है. इसलिए यह अभी खराब पड़ा हुआ है. शिक्षा सेवक धर्मेंद्र कुमार ने बताया कि चापाकल को ठीक कराया जाता है, लेकिन ग्रामीणों इसे खराब कर देते हैं. इसलिए बगल से पानी लाना पड़ता है.

पैसा नहीं मिला तो बिना ड्रेस के स्कूल आते हैं बच्चे
छात्र के परिजन विजय तुरी ने बताया कि स्कूल में बच्चों को पानी की दिक्कत है. साथ ही इस साल ड्रेस का पैसा बच्चों को नहीं मिला है, इसलिए ये लोग बिना ड्रेस के आते हैं.

टैग: बिहार के समाचार, मुंगेर खबर

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