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रिपोर्ट – मो. सरफराज आलम
सहरसा. लोग किसी हिंदू धर्म स्थल पर जाते हैं तो वहां आम तौर पर प्रसाद के रूप में नारियल, कोई फल या मिठाई चढ़ाते हैं. लेकिन सहरसा ज़िले में कोसी के कछार पर एक मंदिर है, जहां शिव भक्त और गौ प्रेमी लोकदेवता संत कारू खिरहरी को लोग अपनी गाय और भैंस का पहला दूध चढ़ाने जाते हैं. होता यह है कि यहां प्रतिदिन कई क्विंटल दूध बाबा के प्रसाद में इकट्ठा हो जाता है. फिर खीर का भोग लगाया जाता है, जिसे बाद में भक्तजनों में बांट दिया जाता है.
ज़िला मुख्यालय से तकरीबन 30 किलोमीटर दूर के महिषी प्रखंड अंतर्गत महापुरा गांव में स्थित संत बाबा कारू खिरहरी मंदिर की विशेषता यह भी है कि यहां भक्तजनों के चढ़ाए दूध से खीर बनती है. आश्चर्य यह बताया जाता है कि इस खीर में चीनी या शक्कर के बगैर ही मिठास आ जाती है. दोपहर तक चढ़ाए जाने वाले दूध में चावल मिलाकर बनाई गई खीर बेहद स्वादिष्ट प्रसाद बनता है. यहां आने वाले भक्त भी दोपहर तक रुकते हैं और प्रसाद ग्रहण करके ही लौटते हैं.
तीन अंचलों से आते हैं पशुपालक
बताया जाता है कि कोसी, अंग और मिथिला के क्षेत्रों में गाय एवं भैसों को बच्चा होने पर बाबा कारू स्थान में पशुपालक उसके दूध का चढ़ावा करते हैं. मान्यता यह भी है कि बाबा कारू खिरहर के लहटा बथान (बरैठा) पर बीमार पशु को ले जाएं तो वह ठीक हो जाता है. आज भी बाबा को लोक देवता के रूप में पूजा जाता है. इन क्षेत्रों के पशुपालक बाबा से मन्नत मांगते हैं कि उनके पशु हमेशा स्वस्थ रहें.
जानकार बताते हैं कि यहां 17वीं शताब्दी से ही बाबा का स्थल है, जहां प्रतिदिन कई क्विंटल दूध चढ़ावे के तौर पर आता है. दशहरे के अवसर पर तो कई टन दूध चढ़ता है. मंदिर के महंत चुकएंदर खिरहरी लोक मान्यता बताते हैं कि संत कारू बाबा बड़े पशुपालक थे. उनके पास असंख्य गायें थीं. वे महादेव शिव के अनन्य भक्त थे. उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर महादेव ने उन्हें वरदान दिया कि प्रतिदिन आपके यहां दूध की धार पड़ेगी और खीर का भोजन होगा.
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प्रथम प्रकाशित : 01 दिसंबर, 2022, दोपहर 12:57 बजे IST
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