Home Bihar दोस्त नीतीश से सुशील मोदी ने कर दी बड़ी मांग, कहा- लागू करें ये कानून तब ही होगा बिहार का विकास

दोस्त नीतीश से सुशील मोदी ने कर दी बड़ी मांग, कहा- लागू करें ये कानून तब ही होगा बिहार का विकास

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दोस्त नीतीश से सुशील मोदी ने कर दी बड़ी मांग, कहा- लागू करें ये कानून तब ही होगा बिहार का विकास

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पटना: पूर्व उपमुख्यमंत्री और राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ( Sushil Moai ) ने कहा कि देश मे बढ़ती अनियंत्रित जनसंख्या संसाधनों पर दबाव डाल रही है। इसके अलावा जनसंख्या वृद्धि विकास को भी बेअसर कर रही है। इस समस्या को देखते हुए नीतीश सरकार ( CM Nitish Kumar ) को भी जनसंख्या नियंत्रण कानून या नीति बनाना चाहिए। साथ ही इसके राजनीतिक विरोध की नीति पर पुनर्विचार करना चाहिए। सुशील मोदी ने कहा कि जब BJP साथ थी, तब नीतीश सरकार ने 2008 में कानून बना कर दो से अधिक बच्चे वालों को नगर निकाय चुनाव लड़ने से वंचित कर दिया था। उन्होंने कहा कि बिहार में जननी सुरक्षा जैसी कई कल्याणकारी योजनाओं का लाभ केवल दो बच्चे वालों तक सीमित किया गया है।

बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा कि इसे नीति कहें या कानून, इसका उद्देश्य कम बच्चे वालों को प्रोत्साहित करना और आबादी पर नियंत्रण न रखने वालों को हतोत्साहित करना ही है। उन्होंने यह भी कहा कि एक तरफ कम बच्चे वालों को प्रोत्साहित करना है। दूसरी तरफ वोट बैंक पर नजर रखकर जनसंख्या नियंत्रण कानून का अंधविरोध करना दुर्भाग्यपूर्ण है।

धर्म से नहीं, जनसंख्या नियंत्रण का संबंध संसाधनों पर बढ़ते दबाव से है
सुशील मोदी ने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण कानून या नीति का किसी धर्म से संबंध नहीं है। बल्कि यह कानून बढते प्रदूषण, घटते भूगर्भ-जल स्तर और स्कूल, अस्पताल, रेलवे जैसे अनेक संसाधनों पर बढ़ते बोझ से निपटने के लिए अब अपरिहार्य हो गया है। इसलिए इस पर राजनीति करना मानवता के लिए आत्मघाती है।

जनसंख्या नियंत्रण कानून पर क्या है सीएम नीतीश कुमार की राय
देश में जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने की मांग तो काफी दिनों से की जा रही है। लेकिन सोमवार को केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने यह कहकर मुद्दा गरमा की दिया कि जो जनसंख्या नियंत्रण कानून का विरोध करें, उसकी वोटिंग राइट छीन लेनी चाहिए। बता दें कि जनसंख्या नियंत्रण कानून पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की राय बीजेपी के नेताओं से अलग है। इस मुद्दे पर नीतीश कुमार कई बार यह कह चुके हैं कि कानून बनाने से जनसंख्या नियंत्रण नहीं होगा बल्कि महिलाओं को साक्षर बनाने से खुद-ब-खुद जनसंख्या नियंत्रण हो सकता है। उन्होंने बिहार में पढ़ी-लिखी महिलाओं के प्रजनन दर के आंकड़े के साथ यह बताने की कोशिश की थी कि जबरदस्ती किसी कानून को किसी संप्रदाय विशेष पर नहीं थोपा जाना चाहिए।

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