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बेगूसराय के अस्पताल में सिंटू के पिता और दोनों भाई।
– फोटो : अमर उजाला
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बेगूसराय शहर के अति-व्यस्त पावर हाउस चौक पर सोमवार शाम जिस युवक सिंटू साह की हत्या हुई थी, वह दो महीने से जिंदगी को ट्रैक पर लाने के लिए ई-रिक्शा चलाने लगा था। चचेरे भाई की हत्या के आरोप में उम्रकैद की सजा से 8 साल जेल काटकर जमानत पर लौटा तो पत्नी बेबी देवी ने महिला स्वयंसेवी संगठन से लोन लेकर दीपावली के एक दिन पहले ई-रिक्शा खरीद दिया था। आरोप है कि जिसकी हत्या के आरोप में सजा काट रहा था, उसके भाई ने 28 अक्टूबर को जान से मारने की धमकी दी और 28 नवंबर को मार डाला।
2013 में हुई हत्या के आरोप पर 2014 में समर्पण
31दिसंबर 2013 को सिंटू के चचेरे भाई राहुल कुमार (पिता-विशुनदेश साह) की हत्या उसके पैतृक घर कमरूद्दीनपुर में हत्या हुई थी। हत्या के बाद सिंटू साह, पिंटू साह, रोहित और इन तीनों भाइयों के दिव्यांंग पिता वासुदेव साह को आरोपी बनाया गया था। इन आरोपियों का कहना था कि वह निर्दोष हैं, लेकिन पुलिस की दबिश देख चारों आरोपियों ने फरवरी 2014में कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया था।
निचली अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी
उस हत्याकांड के समय छोटा बेटा पिंटू वयस्क नहीं था, इसलिए छह महीने में रिहा हो गया। निचली अदालत ने पिता और पिंटू-सिंटू को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है। हाईकोर्ट में अपील पर 2018 में पिता और बड़े बेटे पिंटू को जमानत मिल गई। सिंटू जेल में ही था। इसी साल दो महीने पहले वह जेल से बाहर आया था।
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