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तीन एएसआई गये जेल
जिला उत्पाद विभाग के गिरफ्तार तीनों एएसआई जमादार के पद पर कार्यरत हैं। उन पर आरोप लगा था कि इन तीनों ने अपने ड्राइवर के साथ मिलकर शराब तस्करी का आरोप लगाकर एक व्यकित से लाखों रुपये वसूले थे। इसके अलावा भी कई कारनामे सुर्खियों में रहे। जिसमें कुछ ही दिन पूर्व मधुबनी मद्य निषेध विभाग ने जिलाधिकारी अरविंद कुमार वर्मा को ही चूना लगा दिया। सवाल उठता है कि आखिर कोई कैसे जिलाधिकारी को चूना लगा सकता है? हम आपको बताते हैं।
डीएम का सम्मान क्यों?
हुआ यूं कि कुछ दिन पहले मद्य निषेध विभाग ने शराब तस्करी में शामिल गाड़ियों की निलामी शुरू की थी। गाड़ी की नीलामी की फाइल पर अंतिम परमिशन डीएम का होता है। मधुबनी में कुछ ऐसा ही हुआ, लेकिन जिन गाड़ियों को निलाम करने वाली सूची पर डीएम के हस्ताक्षर थे, उस पूरी सूची को ही गलत तरीके से बनाकर दिया गया था। इसमें चौंकाने वाली बात ये पता चली कि गलत सूची के आधार पर गाड़ियों की निलामी हुई, जिसमें लाखों रुपये घोटाला किया गया। नीलामी के एक महीने बाद इस बात का खुलासा होने के बाद कंप्यूटर ऑपरेटर पर प्राथमिकी दर्ज की गई है। ऑपरेटर तब से फरार है।
सम्मान पर सवाल ?
अब सवाल उठना लाजिमी है कि जब विभाग में इस तरह का खेल चल रहा है, तो फिर जिलाधिकारी का सम्मान कैसे? इसमें बड़े अधिकारियों की भागीदारी भी बताई जा रही है। गलती के बाद विभागीय अधिकारी अभी भी मस्त हैं, क्योंकि कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। वहीं आम आदमी परेशान है। स्थानीय लोगों का कहना है कि विभाग के अधिकारी अपना टारगेट पूरी करने में नाकाम रहने पर ताड़ी पीने वाले मजदूरों को भी उठा लेते हैं। शराब पीने के आरोप में उन्हें जेल भेज देते हैं। वैसे में उस जिले के डीएम को उत्कृष्ट कार्य के लिए सम्मान मिलना बहुत बड़ी बात है।
रिपोर्ट ः प्रशांत झा, मधुबनी
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