Home Bihar लालू के करीबी शिवानंद तिवारी को क्यों याद आ रहे हैं ‘गोलवलकर’ और ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’

लालू के करीबी शिवानंद तिवारी को क्यों याद आ रहे हैं ‘गोलवलकर’ और ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’

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लालू के करीबी शिवानंद तिवारी को क्यों याद आ रहे हैं ‘गोलवलकर’ और ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’

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नीलकमल, पटना: बिहार की सियासत में अपने बयानों से चर्चा में रहने वाले वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने आरएसएस को लेकर बड़ा बयान दिया है। शिवानंद तिवारी ने कहा कि उन्हें याद है जब जुलाई 1949 में पत्रकारों ने गोलवलकर जी से सवाल पूछा था कि‘आप सत्ता पर क़ब्ज़ा करना चाहते हैं। इस सवाल के जवाब में गोलवलकर जी का कहना था कि इस विषय में ‘हम भगवान श्री कृष्ण का विचार सामने रखते हैं। वे एक बड़े साम्राज्य को अपने अंगूठे के नीचे रखते थे लेकिन, खुद कभी राजा नहीं बने। शिवानंद तिवारी ने कहा कि 73 साल पहले गोलवलकर जी ने जो सपना देखा था उसे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनवा कर पूरा कर लिया है। यही वजह है कि आज दिल्ली में बैठी नरेंद्र मोदी सरकार संघ के अंगूठे के नीचे है। RSS को पता है कि मोदी सरकार अनंत काल तक नहीं चलने वाली। इसलिए वे जल्दी जल्दी अपना एजेंडा लागू करवाने के लिए बेचैन दिखाई दे रही है।

शिवानंद ने कहा- को अकेले कंधे पर उठाकर चल रहे हैं नरेंद्र मोदी
आरजेडी नेता शिवानंद तिवारी का कहना है कि देखा जाए तो नरेंद्र मोदी का दम अब उखड़ने लगा है। अकेले कंधे पर इतनी बड़ी पार्टी का बोझ ढोना कोई साधारण काम नहीं है। यह असाधारण जवाबदेही नरेंद्र मोदी ने स्वेच्छा से अपने कंधे पर उठाया हुआ है। ‘एक मैं ही हूं, यहाँ दूसरा कोई नहीं है’ इसी मनोभाव से नरेंद्र मोदी न सिर्फ देश में अपनी सरकार बनाने का अभियान चलाते हैं, बल्कि राज्यों में भी BJP की ही सरकार बनाने के साथ राज्यों में सरकार बनी रहे इस पर काम करते रहते हैं।

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गुजरात और हिमाचल प्रदेश में नरेंद्र मोदी का दबदबा घटा : आरजेडी
शिवानंद तिवारी का कहना है कि उन्होंने हिमाचल प्रदेश और गुजरात में होने वाले विधानसभा चुनाव के प्रचार को देखा है। शिवानंद तिवारी ने कहा कि दोनों जगह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दबदबा कम होता दिख रहा है। उन्होंने कहा कि इसका जीता-जागता सबूत यह है कि हिमाचल प्रदेश में बीजेपी के बागी उम्मीदवार को बिठाने के लिए खुद प्रधानमंत्री ने उसे फोन किया और उस कार्यकर्ता ने प्रधानमंत्री से हुई बातचीत को वायरल कर दिया। शिवानंद तिवारी ने कहा कि इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हिमाचल प्रदेश में ज्यादा मेहनत कर रहे हैं। लेकिन ख़बर मिल रही है कि हिमाचल के मतदाताओं ने इस बार BJP की सरकार को वहां से विदा करने के लिए मतदान किया है। आरजेडी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ने कहा कि यही हाल गुजरात में भी है। उन्होंने कहा कि गुजरात में सत्ता विरोधी लहर चल रही है और वहां भी मतदाता बीजेपी सरकार को उखाड़ फेंकना चाहते हैं। यही वजह है कि गुजरात में सरकार बचाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद वहां कैंप किए हुए हैं।

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खुद को बेचारा साबित करने में माहिर है प्रधानमंत्री : आरजेडी
शिवानंद तिवारी का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने आप को बेचारा और अत्यंत ही दीन-हीन के रूप में खुद को पेश करते हैं। आरजेडी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ने कहा कि 2014 लोकसभा चुनाव में जब कांग्रेस की ओर से उन्हें नीच कहा गया और प्रियंका गांधी ने ‘नीच राजनीति’ शब्द का इस्तेमाल किया था। नरेंद्र मोदी और उनकी पार्टी के लोगों ने इसे मुद्दा बना दिया। इस बार भी कांग्रेस के मधुसूदन मिस्त्री ने नरेंद्र मोदी के लिए ‘औकात ‘ शब्द का इस्तेमाल कर फिर उनको अपने आप को बेचारा और निरीह के रूप में गुजरातियों के सामने पेश करने का मौका दे दिया है।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपना एजेंडा पूरा करवा रही है RSS
शिवानंद तिवारी ने यह भी कहा कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का ऊँची जातियों को भी आरक्षण के दायरे में ले आने के इस एजेंडा को पूरा करने के लिए नरेंद्र मोदी ने न सिर्फ तत्परता दिखलाई, बल्कि उसके लिए उन्होंने तिकड़म का भी सहारा लिया। आरजेडी नेता ने कहा कि बीजेपी उन दिनों राज्य सभा में अल्पमत में थी। इस वजह से वहां उस बिल के अटकने की ज़्यादा संभावना थी। इस जोखिम से बचने के लिए नरेंद्र मोदी ने ज़बरदस्ती उस बिल को मनी बिल के रूप में बदलवा कर उसे लोकसभा में पास करवा दिया। मनी बिल को सिर्फ लोकसभा में ही पास करवाने की जरूरत होती है। वहां पास हो जाने के बाद उसे राज्य सभा में ले जाने की जरूरत नहीं होती है। इस प्रकार यह साफ दिखाई दे रहा है कि मोदी सरकार एक तरफ संघ के एजेंडे को बहुत तत्परता के साथ तो लागू कर ही रही है। शिवानंद तिवारी ने कहा कि इसके अलावा RSS के इशारे पर नरेंद्र मोदी की सरकार कारपोरेट घरानों की भी उसी मुस्तैदी के साथ सेवा कर रही है। गुजरात और गुजरातियों के साथ नरेंद्र मोदी का जिस प्रकार का गहरा और भावनात्मक रिश्ता है। उसका दोहन संभव है। नरेंद्र मोदी वहां फिर से बीजेपी की सरकार बनवा दें, लेकिन, 2024 लोकसभा चुनाव में ऐसा नही होगा।

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