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अभिषेक रंजन
मुजफ्फरपुर. लइका सब रो रहल बा, हमरा जान बचा लिही बउआ लोग! यह गुहार अस्पताल के बेड पर लेटी मुजफ्फरपुर के सकरा प्रखंड के मथुरापुर की सुनीता देवी उसके पास आने वाले हर शख्स से बार-बार लगाती है. वो अब बिना किडनी के पल-पल अपनी ओर आ रही मौत की धुंधली छाया की कल्पना कर फूट-फूटकर रोती रहती है. सुनीता बीते तीन सितंबर को गर्भाशय का ऑपरेशन कराने के लिए एक निजी नर्सिंग होम में भर्ती हुई थी, लेकिन डॉक्टर ने गर्भाशय के बदले उनकी दोनों किडनी ही निकाल ली.
जब यह बात प्रशासन तक पहुंची तो सुनीता को मुजफ्फरपुर से पटना के आई.जी.आई.एम.एस भेज दिया गया. यहां कुछ दिन रखने के बाद किडनी नहीं मिलने की वजह से उसे बैरंग मुजफ्फरपुर वापस भेज दिया गया. यहां के एसकेएमसीएच में बिना किडनी के डायलिसिस के सहारे सुनीता एक-एक दिन काट रही है.
‘सुनीता के मरने के दिन गिन रहे हैं सब’
सुनीता की मां टेत्री देवी रोती हैं, ‘मुझे कुछ नहीं चाहिए…’ बस मेरी बेटी के लिए एक किडनी ले आओ। इतना कहकर वह रोने लगती है। वह आगे कहती हैं कि मेरी बेटी के तीन बच्चे हैं, जो उसके मरने पर उसकी देखभाल करेंगे। सुनीता के पति अकलू राम का भी दिल टूट रहा है। कह रहे हैं कब तक अस्पताल में ऐसे ही दिन कटेंगे। पैसा भी चला गया है। बिना किडनी के हर कोई उसके (सुनीता) मरने के दिन गिन रहा है।
डायलिसिस के सहारे रखा जा रहा जिंदा, पर कब तक?
सुनीता का इलाज कर रहे डॉ. आरोही कुमार बताते हैं कि सुनीता के इलाज में किडनी की कमी को पूरा करने के लिए डायलिसिस किया जा रहा है. उसे पूरी तरह से ठीक करने के लिए कम से कम एक किडनी की जरूरत है. जितनी जल्द किडनी मिल जाए, सुनीता के लिए उतना बेहतर होगा.
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प्रथम प्रकाशित : 10 नवंबर, 2022, दोपहर 1:56 बजे IST
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