![Narendra Singh News: बगावती तेवर…कड़क मिजाज… जमुई के लोगों के लिए वरदान थे नरेंद्र सिंह, सियासी सफर पर एक नजर Narendra Singh News: बगावती तेवर…कड़क मिजाज… जमुई के लोगों के लिए वरदान थे नरेंद्र सिंह, सियासी सफर पर एक नजर](https://muzaffarpurwala.com/wp-content/uploads/https://navbharattimes.indiatimes.com/photo/msid-92652340,imgsize-39538/pic.jpg)
[ad_1]
जानकारी के मुताबिक, नरेंद्र सिंह ने सोमवार की सुबह 9:15 बजे आखिरी सांस ली। उनका अंतिम संस्कार किऊल नदी के पकरी घाट पर मंगलवार को किया जाएगा। पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह सिर्फ जमुई ही नहीं बल्कि बिहार की राजनीति के मजबूत स्तंभ थे। इस बात को उन्होंने 2005 में एलजेपी से बगावत कर नीतीश कुमार की सरकार गठन में अहम भूमिका निभाकर साबित किया था।
जमुई को जिला का दर्जा दिलाने में निभाई अहम भूमिका
बगावती तेवर और जनहित के सवालों पर अधिकारियों के साथ कड़क अंदाज में पेश आना नरेंद्र सिंह की पहचान थी। तीन दशक तक वो जमुई की राजनीति की एक धुरी बने रहे। उन्होंने 21 फरवरी 1991 में जमुई को जिला का दर्जा दिलाकर इसके विकास का जो सिलसिला शुरू किया, उसको लेकर आखिरी सांस तक चिंतित रहे। हाल के दिनों किसानों और मजदूरों के सवाल पर वे बिहार और दिल्ली की वर्तमान सरकार से खफा चल रहे थे।
1985 में पहली बार चुने गए थे विधायक
पूर्व मंत्री और स्वतंत्रता सेनानी समाजवादी नेता श्रीकृष्ण के पुत्र नरेंद्र सिंह 1985 में पहली बार कांग्रेस के टिकट पर चकाई विधानसभा सीट से विधायक चुने गए थे। 1990 में दूसरी बार निर्वाचित हुए, फिर लालू यादव की सरकार में पहली बार कैबिनेट मंत्री बनने का मौका मिला। वो लालू यादव और नीतीश कुमार दोनों के ही करीबी रहे।
नरेंद्र सिंह ने जेपी आंदोलन के समय राजनीति में कदम रखा था। छात्र जीवन से उनकी रुचि राजनीति में थी। विधायक बनने के बाद पहले वो लालू सरकार में मंत्री रहे। फिर 2005 में जब बिहार में सत्ता परिवर्तन हुआ तो उसमें नरेंद्र सिंह की अहम भूमिका रही। अभी नरेंद्र सिंह के बेटे सुमित सिंह भी विधायक हैं और बिहार सरकार में विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।
(जमुई से पुरुषोत्तम कुमार की रिपोर्ट)
[ad_2]
Source link