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लखीसराय/जमुई. बिहार से बड़ी खबर सामने आ रही है. बिहार और झारखंड में वांछित 6 कुख्यात नक्सलियों ने सोमवार को आत्मसमर्पण कर दिया. सुरक्षाबलों के समक्ष समर्पण करने वाले कुख्यात नक्सलियों में ₹5 लाख का इनामी और माओवादी संगठन का एरिया कमांडर अर्जुन कोड़ा भी शामिल है. अर्जुन कोड़ा के साथ ही नक्सलियों का जोनल कमांडर बालेश्वर कोड़ा ने भी सरेंडर किया है. इनके अलावा नागेश्वर कोड़ा और 2 अन्य माओवादियों ने अपनी हथियार डाले हैं. इन नक्सलियों ने सीआरपीएफ और जिला पुलिस बल के समक्ष समर्पण किया है. पांच नक्सलियों का एक साथ समर्पण करना नक्सल विरोधी अभियानों के लिहाज से बड़ी सफलता मानी जा रही है. माना जा रहा है कि सुरक्षाबलों की ओर से लगातार दी जा रही दबिश से बने दबाव के चलते नक्सलियों ने सरेंडर किया है.
बिहार में नक्सली संगठन भाकपा माओवादी के खिलाफ सुरक्षाबलों को बड़ी कामयाबी मिली है. सुरक्षाबलों के लगातार दबिश के कारण जोनल कमांडर बालेश्वर कोड़ा के साथ हार्डकोर नक्सली अर्जुन कोड़ा और नागेश्वर कोड़ा ने हथियार के साथ सुरक्षाबलों के समक्ष सरेंडर कर दिया है. आत्मसमर्पण करने वाले तीनों नक्सली जमुई, लखीसराय और मुंगेर जिला के जंगली इलाके में सक्रिय थे. इनके अलावा 2 अन्य नक्सलियों के भी सरेंडर करने की बात कही जा रही है. पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार, बरहट थाना इलाके के चौरमारा जंगल के पुलिस कैंप में नक्सलियों ने सरेंडर किया है. सरेंडर करने वाले नक्सली बालेश्वर कोड़ा, अर्जुन कोड़ा और नागेश्वर कोड़ा की तलाश पुलिस को बीते एक दशक से भी ज्यादा समय से थी.
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सभी पांचों नक्सलियों ने बरहट थाना क्षेत्र के चौरमारा जंगल में बने पुलिस कैंप में समर्पण किया है. (न्यूज 18 हिन्दी)
लखीसराय, जमुई और मुंगेर में सक्रिय था बालेश्वर कोड़ा
बिहार-झारखंड का एरिया कमांडर अर्जुन कोड़ा दोनो राज्यों में वांछित था. अर्जुन कोड़ा पर दर्जनों मामले दर्ज हैं. वहीं, जोनल कमांडर बालेश्वर कोड़ा उर्फ मुखिया जी खासकर लखीसरा, जमुई और मुंगेर में सक्रिय था. इसका मुख्य काम लेवी वसूलना था. तीनों जिलों में अवैध उगाही बालेश्वर कोडा ही करता था. समर्पण करने वाले अन्य नक्सलियों पर भी विभिन्न क्षेत्रों में मामले दर्ज हैं. इन सभी नक्सलियों पर कजरा, चानन, पीरीबाजार आदि थानों में हत्या, अपहरण, रंगदारी वसूलने जैसे गंभीर अपराध दर्ज हैं.
वर्ष 2010 के नक्सली कांड में संलिप्तता
बिहार के कजरा में साल 2010 में नक्सलियों और पुलिस के बीच भीषण मुठभेड़ हुई थी. इसमें हेलीकॉप्टर की भी मदद ली गई थी. इस मुठभेड़ में सरेंडर करने वाले सभी नक्सलियों का हाथ होने की बात कही जा रही है. बता दें कि कजरा को नक्सलियों का गढ़ माना जाता है. साल 2010 में पुलिस और नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ की गूंज दिल्ली तक सुनाई पड़ी थी.
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प्रथम प्रकाशित : 13 जून 2022, दोपहर 1:14 बजे IST
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