Home Bihar Bochaha Result : बोचहां में बीजेपी को भूमिहारों ने क्यों दिया गच्चा? खेल जानकर हिल जाएंगे

Bochaha Result : बोचहां में बीजेपी को भूमिहारों ने क्यों दिया गच्चा? खेल जानकर हिल जाएंगे

0
Bochaha Result : बोचहां में बीजेपी को भूमिहारों ने क्यों दिया गच्चा? खेल जानकर हिल जाएंगे

[ad_1]

मुजफ्फरपुर/पटना: बोचहां विधानसभा के उपचुनाव में बीजेपी ने सपने में भी उम्मीद नहीं की थी कि उसकी मजबूत कैंडिडेट बेबी कुमारी ऐसे हारेंगी। वो बेबी कुमारी जिन्होंने कभी बीजेपी से टिकट कटने के बाद निर्दलीय खड़े होकर महागठबंधन की आंधी में भी ये सीट अपने खाते में बटोर ली थी। आखिर बेबी या यूं कहें कि बीजेपी के बोचहां में हार की वजह क्या है? इसके बदले में आपको हर तरफ से एक ही जवाब मिलेगा कि असल खेल बीजेपी के उस वोट बैंक का है जिसे दरकिनार करना महंगा पड़ गया। ये वो वोट बैंक है जो दो दशकों से बीजेपी के साथ मजबूती से खड़ा था। लेकिन हाल के कुछ सालों में इस जाति के वोटरों को बीजेपी ने हाशिए पर ढकेल दिया, लेकिन वो ये भी भूल गई कि उसे राज्य की सत्ता में लाने वाले यही वोटर थे… भूमिहार-ब्राह्मण। इसी वोट बैंक ने आरजेडी कैंडिडेट अमर पासवान पर इतना प्यार लुटाया कि जीत झोली में जा गिरी।

भूमिहार वोटरों ने बोचहां में कराई बीजेपी की मिट्टी पलीद
आपको लगेगा कि सिर्फ एक जाति के वोटर बोचहां में बीजेपी की मिट्टी कैसे पलीद करा सकते हैं? इस जाति के तो कोई कैंडिडेट भी बोचहां में खड़े नहीं हुए क्योंकि ये सुरक्षित सीट है। फिर ये कैसे हो गया? तो समझ लीजिए कि इसका आधार तभी से रखा जाना शुरू हुआ था जब 2019 के लोकसभा चुनाव होने थे। सीटों में कम हिस्सेदारी से ये तबका बेहद नाराज हो गया था। हालत ऐसी हुई कि पार्टी के अंदर ही मोर्चा खुल गया। अंत में चार्टड फ्लाइट से इस जाति के दो कद्दावर नेताओं सीपी ठाकुर और सच्चिदानंद राय को ले जाकर अमित शाह से मिलवाया गया।
Bihar Politics : बिहार की राजनीति में 31 साल बाद घूम रहा सवर्ण चक्र, ‘जो कल तेरा था आज मेरा है’
2020 में भी बीजेपी ने दिए संकेत
लेकिन ठीक एक साल बाद जब बीजेपी ने सत्ता में वापसी की तो उसने मंत्रिमंडल की झलक में ये दिखा दिया कि वो भूमिहारों को मंत्रिमंडल में ‘सांकेतिक प्रतिनिधित्व’ ही देगी। इसकी खानापूर्ति जीवेश मिश्रा को मंत्री बनाकर की गई। लेकिन यहां भी एक खेल खेल दिया गया, ये प्रतिनिधित्व भी मिथिलांचल के खाते में चला गया। खैर, बीजेपी ने इस दौरान काफी हद तक जता दिया कि उसे अब नए समीकरणों की दरकार है। क्योंकि भूमिहार वोटर जाएंगे कहां? लेकिन इसके बाद बीजेपी के खेल ने उसके वोट बैंक को अंतिम तौर पर भड़का दिया।
Bihar Politics : बिहार की सियासत में बड़ा उलटफेर… बीजेपी के बागी ने एक साथ साधा नीतीश-लालू से संपर्क, ये खबर एकदम पक्की है
एमएलसी चुनाव में बीजेपी से भड़क गए ‘भूमिहार’
इसी साल हुए एमएलसी चुनाव में बीजेपी ने अपने कद्दावर भूमिहार नेता सच्चिदानंद राय का टिकट काट दिया। इसके बाद सच्चिदानंद राय ने सारण सीट से निर्दलीय ताल ठोक बीजेपी उम्मीदवार को धूल चटा दी और जीत हासिल की। लेकिन इस जीत से एक साथ दो मैसेज गए, पहला ये कि अगर भूमिहार वोट बैंक एक तरफ हो जाए तो बीजेपी की राह मुश्किल है। दूसरा मैसेज ये कि जो सारण में हुआ वो बोचहां में भी संभव है। बस यहीं से खेल शुरू हो गया।
बिहार MLC रिजल्ट देखकर MY भूल जाएंगे, अब BY का जलवा, काम कर रहा तेजस्वी का A टू Z?
आरजेडी को भूमिहार वोट क्यों मिले?
अब सवाल ये कि बोचहां में निर्णायक भूमिका निभाने वाले भूमिहार वोटर आरजेडी की तरफ क्यों झुके, उन्होंने नोटा या फिर निदर्लीय का विकल्प क्यों नहीं चुना? इसका जवाब समझने के लिए आपको बस थोड़ा सा पीछे जाना होगा। 2022 के MLC चुनावों में जब बीजेपी भूमिहार नेता का टिकट काट रही थी तो आरजेडी ने भूमिहारों पर ही दांव लगा दिया और मामला फायदे का रहा। इसके बाद तेजस्वी ने ये जताने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी कि अब आरजेडी बदल चुकी है और उसे ‘भूरा बाल’ का साथ पसंद है। तेजस्वी के इस फैसले को इस जाति के वोटरों ने हाथों-हाथ लिया, इसके बाद तो बोचहां सीट पर निर्णायक भूमिहार वोटरों ने बीजेपी को ऐसा झटका दिया जिससे वो आनेवाले कई दिनों-महीनों तक हिलती रहेगी।

नोट- खबर लिखे जाने तक बोचहां में RJD उम्मीदवार अमर पासवान बीजेपी की बेबी कुमारी से 18494 वोटों से आगे चल रहे थे।

[ad_2]

Source link

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here