Home Bihar Bihar Bridge Theft : पुल चोरी का मास्टरमाइंड राधेश्याम सिंह, ऐसा सरकारी अफसर जिसने पूरी दुनिया में बिहार की छवि खराब कर दी

Bihar Bridge Theft : पुल चोरी का मास्टरमाइंड राधेश्याम सिंह, ऐसा सरकारी अफसर जिसने पूरी दुनिया में बिहार की छवि खराब कर दी

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Bihar Bridge Theft : पुल चोरी का मास्टरमाइंड राधेश्याम सिंह, ऐसा सरकारी अफसर जिसने पूरी दुनिया में बिहार की छवि खराब कर दी

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पटना/रोहतास: बिहार के रोहतास में 60 फुट लंबे लोहे के पुल की चोरी मामले में पुलिस ने बड़ा खुलासा किया। इस केस में पुलिस ने आठ लोगों को गिरफ्तार किया है। आप ये जानकर हैरान रह जाएंगे कि सासाराम सिंचाई विभाग का एसडीओ राधेश्याम सिंह ही इस पूरे कांड का मास्टरमाइंड था। चौंकानेवाली बात तो ये रही कि राधेश्याम सिंह ने ही पुल चोरी की घटना की एफआईआर तक दर्ज कराई थी। पूरा मामला नासरीगंज प्रखंड के आदर्श ग्राम अमियावर का है। आधे दर्जन गांवों को जोड़ने के लिए आरा कैनाल पर ये पुल बना था। रोहतास में 60 फुट लंबा ये ऐतिहासिक पुल करीब 50 साल पुराना था।

इस सरकारी अफसर ने दुनिया में खराब की बिहार की छवि
ये पूरी साजिश सासाराम में तैनात सोन नहर अवर प्रमंडल, नासरीगंज के SDO राधेश्याम सिंह ने रची थी। राधेश्याम ने इसके लिए पूरी प्लानिंग की थी और एक स्थानीय RJD नेता को भी अपने साथ मिला लिया था, जिससे कोई बवाल न खड़ा हो पाए। ये आरजेडी नेता अमियावर गांव का ही रहनेवाला है और उसका शिव कल्याण भारद्वाज है। पुलिस ने इस दौरान पुल चोरी कांड में इस्तेमाल किए गए सामान, जिसमें बुलडोजर, पिकअप वैन, 247 किलो लोहा, दो गैस सिलेंडर और दो गैस कटर को भी बरामद किया। पुलिस के मुताबिक RJD नेता शिव कल्याण भारद्वाज ने अपराधियों को संरक्षण देने के बदले SDO से 10 हजार रुपये लिए थे।

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कौन हैं बिहार की छवि खराब करने वाला सरकारी अफसर
एसडीओ राधेश्याम सिंह कैमूर जिले के कुदरा थाना इलाके के फुली गांव का रहनेवाला है। ये करीब दो साल से रोहतास में पोस्टेड था। लोगों को ये पता भी नहीं था कि उनके बीच का अफसर इतना बड़ा खिलाड़ी है। सूत्रों के मुताबिक राधेश्याम सिंह की नजर जब इस पुल पर पड़ी तो वो जर्जर हालत में था। इस पर से कोई आता-जाता भी नहीं था। ऐसे में एसडीओ राधेश्याम सिंह ने दिमाग लगाया कि अगर ये पुल गायब भी हो गया तो किसी को कोई फर्क नहीं पड़ेगा। राधेश्याम सिंह ने सोचा कि क्यों न एक हजार किलो लोहे यानि पुल को उखड़वा कर बेच दिया जाए।

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ऐसे रची गई साजिश
इस साजिश के लिए राधेश्याम सिंह ने विभाग के कुछ कर्मचारियों को भी तैयार किया। इसके बाद तय समय पर जेसीबी, कटर वगैरह लेकर ये सब लोग मौके पर पहुंच गए। चुंकि वहां पर मौजूद सभी चोरों ने अपना परिचय सरकारी कर्मचारी और मजदूर के तौर पर दिया इसलिए उन्हें इस पुल को गायब करने में विरोध का सामना नहीं करना पड़ा। इसके बाद सारा माल लोड कर मौके से सभी आरोपी उड़न छू हो गए।
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लोगों की जागरुकता से फूटा भांडा
एसडीओ राधेश्याम सिंह ने जो प्लानिंग की थी, उसे वो फुलप्रूफ समझ रहा था। चुंकि पुल जर्जर था और किसी के काम का नहीं था। लोग उस पर आते जाते भी नहीं थे। SDO को लगा कि स्थानीय लोग इस मामले में कोई शिकायत भी क्यों करेंगे, जब उन्हें इस पुल से कोई मतलब ही नहीं है? लेकिन यही उसकी गलती थी, लोगों की जागरुकता ने ‘राधेश्याम की लीला’ का भांडा फोड़ दिया।

बिहार मैट्रिक 2015

SDO के कांड से 7 साल पहले इस तस्वीर ने बिहार की छवि को लगाया था बट्टा

SDO के कांड से 7 साल पहले इस तस्वीर ने बिहार की छवि को लगाया था बट्टा
आपको याद होगा कि साल 2015 में मैट्रिक परीक्षा की इसी तस्वीर ने पूरे देश और दुनिया में बिहार की छवि पर बट्टा लगा दिया था। मैट्रिक परीक्षा में नकल की इस तस्वीर के बाद ऐसे ऐसे गैंग का भी खुलासा हुआ था जिसने पैसे लेकर टॉपर फैक्ट्री ही खोल दी थी। और अब 7 साल बाद बिहार के सरकारी अफसर ने कुछ ऐसी ही करतूत को अंजाम दिया जिसने पूरी दुनिया में फिर से बिहार की छवि खराब कर दी।

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