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पीटीआई, पटना
द्वारा प्रकाशित: देव कश्यप
अपडेट किया गया सूर्य, 27 मार्च 2022 01:17 AM IST
सार
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने भाजपा शासित पहाड़ी राज्य में एक समिति के गठन का जिक्र करते हुए कहा कि अब उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक बहुत अच्छा कदम उठाया है। देश भर में कानून की एकरूपता होनी चाहिए, सिफारिशों के आधार पर एक समान नागरिक संहिता पेश की जा सकती है।
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विस्तार
सिंह ने भाजपा शासित पहाड़ी राज्य में एक समिति के गठन का जिक्र करते हुए कहा कि अब उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक बहुत अच्छा कदम उठाया है। देश भर में कानून की एकरूपता होनी चाहिए, सिफारिशों के आधार पर एक समान नागरिक संहिता पेश की जा सकती है। इससे पहले फरवरी में गिरिराज सिंह ने हिजाब विवाद शुरू होने के तुरंत बाद एक समान नागरिक संहिता लाने का आह्वान किया था और इसे समय की जरूरत बताया था।
बिहार के बेगूसराय लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व करने वाले केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने अपने निर्वाचन क्षेत्र में हिंदुओं के उत्पीड़न के आरोपों को दोहराया और जेडीयू के हालिया विरोधों पर नाराजगी व्यक्त की। गौरतलब है कि जदयू के दो पूर्व विधान पार्षदों ने डीएम ऑफिस पर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह का पुतला फूंककर विरोध किया था। जदयू नेताओं का आरोप है कि केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने रजौड़ा में हिंदू-मुस्लिम मामले को बेवजह तूल दिया।
एनडीए सदस्यों द्वारा उनका पुतला जलाए जाने पर सिंह ने कहा कि मैं हर कीमत पर हिंदुओं के अधिकारों के लिए लड़ूंगा। अगर वोट बैंक की राजनीति के दबाव में प्रशासन कारपेट के नीचे काम करता रहेगा तो मेरे निर्वाचन क्षेत्र के हिंदू कहां जाएंगे। उन्होंने कहा कि देश में कांग्रेस समेत अन्य दल तुष्टीकरण की सियासत करते हैं। एक विशेष समुदाय को अपना वोट बैंक समझते हैं एवं उनको खुश करने के लिए हिंदुओं के खिलाफ में बोलते हैं। यह मैं बर्दाश्त नहीं करूंगा।
बता दें कि पिछले हफ्ते बेगूसराय में कुछ घटनाएं हुई थीं जिन्हें प्रशासन ने दो समूहों के बीच झड़प करार दिया था। हालांकि झड़पों के आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया था। सिंह ने जोर देकर कहा कि इस मामले में बहुसंख्यक समुदाय के साथ अनुचित और कठोर व्यवहार किया गया।
सिंह जनसंख्या नियंत्रण कानून के प्रबल समर्थक हैं, जिसे नीतीश कुमार ने अस्वीकार कर दिया। नीतीश कुमार का सुझाव था कि इस तरह के कदम उठाने से रूढ़िवादी मुसलमानों के कड़े विरोध का सामना करना पड़ सकता है। सिंह ने इस सुझाव पर नाराजगी जताई।
उन्होंने कहा कि इस तरह के कानून की आवश्यकता इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए है कि हमारी जनसंख्या का घनत्व पहले से ही जितना हम संभाल सकते हैं उससे अधिक है। यह कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है। यह एक सामाजिक मुद्दा है। देश भर के राज्यों और जिलों को शरीयत जैसे धार्मिक कानूनों के माध्यम से शासित नहीं किया जा सकता है।
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