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“नाम गुम जाएगा, चेहरा ये बदल जाएगा, मेरी आवाज ही पहचान है, गर याद रहे…”
फिलिम ‘किनारा’ के ई गीत आज सबेरे से दिमाग में चकरी लेखां घूम रहल बा. ना जाने केतना लोग एह गीत के तब सुनले होई, जब ओकर केहू आपन छोड़ के चल गइल होई. एकरा के सुनके अपना के मनवले होई, समुझवले होई कि मउवत त सभकर तय बा, खाली समय अलग-अलग होला. ओह सब के दुख के साथी जिनके आवाज बनल, उ आवाज आज एह दुनिया के छोड़ के चल गइल, एह गीत के आ एकरा जइसन असंख्य जीवन उत्सव मनावे वाला गीतन के गावे वाली आपन लता दीदी परलोक के राहे चल गइली. लागsता जइसे आसमान से सुंदर मेह के समूह हट गइल बा. अब तs खाली इयादन के जरजरात घामे भेंटाई. लता मंगेशकर जिनके सगरो देस आ बाहर के दुनिया लता दीदी के नाम से बोलावत रहल ह, आज उ एह दुनिया से विदा ले लेहली. जहां उनके चहचहात आवाज सुनात रहल ह, आज से खाली टेप पर रिकॉर्ड भइल उनके गीत ही सुने के मिली. उ सगरो ताजगी, सगरो सादगी त ओह में होई…बाकिर अफसोस कि उ खाली इयाद होई. रउआ जहां भी रहीं, खुश रहीं लता दीदी!
लता दीदी के गइला के माने भारतीय संगीत के निष्प्राण होखल बा. उनका बिना भारतीय संगीत के आकाश सून हो गइल बा. ई मनहूस खबर, आज भोरहीं के ह. लता ताई जनवरी से अधिक बीमार चलत रहली ह अउरी अस्पताल में भर्ती रहली ह. कोरोना अउरी निमोनिया होखला के बाद 29 दिन से मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल के ICU में उनके चौबीसों घंटा डॉक्टर के निगरानी में रखल गइल रहल ह. 4-5 दिन पहिले लागल कि उ ठीक हो गइल बाड़ी आ जलदिए घरे अइहें. आजुए सबेरे खबर अउवे कि उनके तबीयत एकदम ठीक बा. तले कुछ देर बाद खबर आवsता कि उनके कोरोना से लगातार चलत जंग के अंजाम आ गइल, भारत आपन अमूल्य कोहिनूर खो देहलस. कोरोना के काल भारत के स्वर कोकिला के निगल गइल.
92 साल के लता जी के 8 जनवरी के दिने कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आइल रहे. जेकरा तुरंत बाद उनके अस्पताल में भर्ती करावल गइल. लगभग दू साल से, पूरा कोरोना काल में उ घर से बाहर ना निकलली. सोशल मीडिया के जरिए आप सब प्रशंसक अउरी देश के लोग खातिर संदेश देत रहली. वृद्धावस्था के चलते उनके तबीयत खराब रहत रहे, एही से उ आपन समय अपना घरे में गुजारत रहली. उनके घर के एगो स्टॉफ मेंबर के रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आइल रहे, ओकरा बादे उनकर टेस्ट करावल गइल, जेमें रिपोर्ट पॉजिटिव आइल रहे.
भारत रत्न के उपाधि से नवाजल गइल, स्वर कोकिला अउरी क्वीन ऑफ मेलोडी के नाम से जानल जाए वाली लता मंगेशकर एही साल आपन 92वां जन्मदिन मनवली. 1942 से लेके अब ले उ हमनी के बीच रहली आ अपना हँसी – खुशी, उत्सव, जीवन सत्य, दुख, विरह, प्रेम के गीतन से हमनी सबके हमेशा हँसावत आ भावुक करत रहली. लइका से सेयान ले आ बुढ़वा लोग भी लता जी के लता दीदी भा लता ताई कहे. उनके माता सरस्वती के वरद-पुत्री भी मानल जाव. देखीं संजोग कि काल्ह सरस्वती पूजा रहे, आज उहाँ के विदाई रहल ह. अउरी उ अपना साथे अपना बेटी के भी लिवा ले गइली. लता जी 36 गो देसी विदेसी भाषा में लगभग 25 हजार से बेसी गाना गवली. उ 1000 से ऊपर फिल्मन में गीत गवली.
बचपने से गीत संगीत के महारत रहे लता दीदी के लगे
लता मंगेशकर के जन्म 28 सितंबर 1929 के इंदौर में भइल रहे. उ अपना माई बाप के सबसे बड़ संतान रहली. उनके पिता जी दीनानाथ मंगेशकर मराठी थिएटर के प्रसिद्ध अभिनेता आ गायक संगीतकार रहलें. उनके माई शेवन्ती एगो बड़ गुजराती सेठ के बेटी रहली. लता जी के बचपन के नाम हेमा रहे. बाद में उनके पिता अपना नाटक के एगो किरदार लतिका के नाम पर लता रख देहलें. उनके बाद उनके तीन गो बहिन मीना खाडिकर, आशा भोंसले, उषा मंगेशकर आ छोट भाई हृदयनाथ मंगेशकर भइलें. सभे भाई बहिन स्थापित गायक, संगीतकार रह चुकल बा.
लता जी बचपने में अपना पिता जी के नाटक में अभिनय करे लगली. आ अपने पिता जी से ही गावे के भी शिक्षा लेहली. लता जी जब 13 साल के रहली तब उनके पिता जी के मृत्यु हो गइल आ घर के सब भार उनका पर आ गइल. उनके पिता जी के मित्र मास्टर विनायक फिल्म कंपनी के मालिक रहलें अउरी उहे लता के आगे काम देहलें. लता जी 1942 में पहिला गीत गवली जवन हटा दिहल गइल फेर ओहि साल एगो मराठी फिल्म ‘पहिली मंगला-गौर’ में अभिनय भी कइली अउरी गीत भी गवली. एकरा बाद उनके हिन्दी में भी मास्टर विनायक जी काम देहले.
हालांकि, हिन्दी फिल्म जगत में लता जी पर जे सबसे ढेर भरोसा कइल उ रहलें गुलाम हैदर. उ कहलें कि आज भले लता के लोग काम नइखे देत लेकिन अइसन दिन आई कि लोग लता के पैर पर गिरी की उ ओ लोग के फिलिम में गा देस. आखिर आगे जाके भइल भी अइसन. लता जी के पहिला हिट गीत उनकरे हिन्दी फिल्म मजबूर (1948) में एगो गीत गववलें, ‘दिल मेरा तोड़ा, मुझे कहीं का ना छोड़ा’. ई लता जी के पहिला बड़ हिट गाना रहे. एकरा बाद उनके काम मिलल चालू हो गइल.
भोजपुरी सिनेमा के शुरुआत लता जी के मधुर स्वर से भइल रहे
लता दीदी भोजपुरी फिल्म संगीत के पहिला गीत भी गवली. पहिला भोजपुरी फिल्म ‘हे गंगा मईया तोहे पियरी चढईबो के’ टाइटल ट्रैक उ अपना छोट बहिन उषा मंगेशकर के साथ मिलके गवली. जब ए पहिला फिल्म के शुरुआत होत बा त पहिला आवाजे गूंजत बा लता दीदी के.‘ हे गंगा मईया तोहे पियरी चढ़इबो, सइयाँ से कर द मिलनवा हे राम’ के के भुला सकेला. एही फिलिम में दूनू बहिन के जोड़ी एगो अउर इठलाये वाला गाना गवले रहे. गाना रहे ‘मारे करेजवा में तीर’. ई गाना अभियो लोग के जुबान पर बा, भोजपुरी प्रेमी हिन्दी फिल्म अउरी संगीत से भी जुड़ल बा. लता दीदी, रफी साहब, मन्ना डे, किशोर दा जइसन लोग भोजपुरी खातिर गीत गावल.
लता मंगेशकर भोजपुरी के दुसरका भोजपुरी फिल्म ‘लागी नाही छूटे राम’ में भी एगो गाना गवली. उ गाना भोजपुरी सिनेमा के कुछ महान गीतन में से एगो बा. ‘लाली लाली होठवा से बरसे ललईया हो कि रस चुएला’ गाना के तब के हिन्दी सिनेमा के मशहूर गीतकार मजरूह सुल्तानपुरी कलमबद्ध कइले रहलें. लता जी के साथे तलत महमूद एह गाना के गवले रहलें. कुमकुम आ असीम कुमार पर फिल्मावल ई गीत आजुओ लोग बड़ा चाव से सुनेला.
मुजरा शैली में एगो गाना फिल्मावल गइल जे के स्वर लता दीदी देहली बोल रहे ‘लुक छिप बदरा में’. ई गाना तब के हिंदी सिनेमा के हिट मुजरा गीतन के बराबरी के रहे आ गैर भोजपुरी भाषी भी एके खूब चाव से सुने लोग. इहो गाना भोजपुरी के पहिलके फिल्म में रहे. लता मंगेशकर बाद के फिल्म में भी बहुते गीत गवली. उ रवि किशन के फिल्म दूल्हा अइसन चाही में एगो गाना गवले बाड़ी. गाना ‘अपना नजरिया से दूर काहें कइला’ रवि किशन आ स्वीटी छाबड़ा पर फिल्मावल गइल बा. उ रवि किशन के ही फिल्म ‘माई त बस माई बाड़ी’ में भी एगो गीत कइसन विधना के खेल हो रामा गवली.
लता मंगेशकर के संगीत जगत खातिर असीमित अउरी महान योगदान खातिर उनके 1969 में पद्मभूषण, 1989 में फिल्म जगत के सर्वोच्च सम्मान दादा साहब फाल्के पुरस्कार आ 1999 में पद्म विभूषण से नवाजल गइल. उनके गावल गीतन के तीन बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार आ आठ बार फिल्मफेयर पुरस्कार मिलल. 15 बार उनके बंगाल फिल्म जर्नलिस्ट असोसिएशन अवॉर्ड मिलल. 1984 में मध्यप्रदेश सरकार त लता मंगेशकर के नाम पर संगीत जगत में अतुलनीय योगदान खातिर पुरस्कार दिहल चालू कइलस. संजोग देखीं, लता दीदी के साथे एक से एक सुपरहिट गीत गावे वाला किशोर दा के एह सम्मान के दुसरा साल में सम्मानित कइल गइल. 2001 में लता दीदी के देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित कइल गइल.
आज लता दीदी हमनी सब के बीच ना रहली, बाकिर उनके गावल गीत, उनसे जुड़ल एक एक इयाद सभके साथे अइसहीं रही. उनके पहचान उनके आवाज रहे, जवन हरदम हमनी के इयाद रही… अश्रुपूर्ण विदाई, लता दीदी!
(लेखक मनोज भावुक भोजपुरी सिनेमा के इतिहासकार हैं.)
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