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Bhojpuri: प्रसिद्ध अभिनेत्री मीना कुमारी खाली हीरोइन ना बल्कि गजब के शायरा भी रहलीं, जानीं कइसे?

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Bhojpuri: प्रसिद्ध अभिनेत्री मीना कुमारी खाली हीरोइन ना बल्कि गजब के शायरा भी रहलीं, जानीं कइसे?

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भारतीय फिल्म जगत के भावपूर्ण अदाकारा अउरी बहुते बड़ शख्सियत मीना कुमारी के लगभग सभे जानत होई, उनके जिनगी कहे खातिर त खुलल किताब रहे बाकिर ओह में बहुत पन्ना अइसन भी रहे जवना के समझे खातिर खाली खुलल आँख के ना बल्कि खुलल दिल के अउरी एहसास के गरज बा. आईं आज फिल्मी सुग्गा से जानल जाव हीरोइन के रूप में जानल जाये वाली मीना कुमारी के साहित्यिक अउरी असल जिनगी के कुछ सच.

“चाँद तन्हा है आसमां तन्हा
दिल मिला है कहाँ कहाँ तन्हा”

ई शेर कवनो तन्हा शायर के ना बल्कि खुद मीना कुमारी के ह. मीना कुमारी नाज़ उनके पूरा नाम रहे अउरी उ इहे नाम से लिखबो करस. उ कई गो गजल आ शेर लिखली जवना पर एगो किताब भी छपल, नाम रहे ‘तन्हा चाँद’, ई उर्दू में रहे. रउआ अगर चाहीं त एकरा के पढ़ सकीलें. ई किताब मीना कुमारी के मृत्यु के बाद प्रसिद्ध गीतकार आ शायर गुलजार उनके सगरो शेर आ गजलन के संग्रह करके ‘तन्हा चाँद’ नाम से छपववलें. एक किताब में एह शीर्षक से गजल भी बा. रउआ उ पढ़ीं, पढ़ के रउआ मीना कुमारी के सफल अउरी चमक धमक वाली जिनगी के अन्हार कोठरी में झाँके के मिली.

चाँद तन्हा है आसमाँ तन्हा
दिल मिला है कहाँ कहाँ तन्हा
बुझ गई आस छुप गया तारा
थरथराता रहा धुआँ तन्हा
ज़िंदगी क्या इसी को कहते हैं
जिस्म तन्हा है और जाँ तन्हा
हम-सफ़र कोई गर मिले भी कहीं
दोनों चलते रहे यहाँ तन्हा
जलती-बुझती सी रौशनी के परे
सिमटा सिमटा सा इक मकाँ तन्हा
राह देखा करेगा सदियों तक
छोड़ जाएँगे ये जहाँ तन्हा

ई शेर पढ़के अंदाज त लागिए गइल होई कि मीना कुमारी के जिनगी केतना एकाकी रहे. जवन मीना कुमारी के आस-पास फिल्मी लोग, प्रशंसक, नोकर- चाकर के भीड़ रहे, उ अंदर से बहुत अकेल रहली. उनका किताब पर दू गो विदेशी आलोचक के कहनाम रहे कि मीना कुमारी अपना पोएट्री से अपना जीवन अउरी बॉलीवुड संसार के अंदर झाँके के मौका देली.

मीना कुमारी प्रसिद्धि के उठान पर रहली जब उ फिल्मन से अलविदा कहली अउरी जब उ जिनगी से अलविदा कहली तबो उनके जाए के बेरा ना रहे. 38 के उमिर केहू के दुनिया छोड़ के जाए के थोड़ी होला.

बाकिर बेबी नाज के नाम से फिल्मन से 4 साल के उमिर से करियर के शुरुआत करे वाली मीना कुमारी अपना 33 साल के फिल्म करियर में बहुत कुछ पवली, बहुत कुछ खो भी देहली. उ कुल 92 गो फिल्म में काम कइली. जब प्रसिद्ध भारतीय फिल्म अवॉर्ड फिल्मफेयर अवॉर्ड देबे के शुरुआत भइल त मीना कुमारी सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के पहिला विजेता रहली. उनके प्रसिद्ध म्यूजिकल ड्रामा फिल्म बैजू बावरा खातिर ई खिताब मिलल रहे. फेर साल 1955 में फिल्मफेयर के दुसरा संस्करण में भी मीना कुमारी के फिल्म ‘परिणीता’ खातिर अवॉर्ड मिलल. साल 1962 में त अइसन भइल कि बेहतरीन अभिनेत्री के तीन गो नॉमिनेशन आइल अउरी तीनों फिल्म मीना कुमारी के रहे. एह साल मीना कुमारी के जिनगी के गोल्डन ईयर कहल जा सकेला. एह साल उ तीन गो फिल्म कइली, साहब बीबी और गुलाम, आरती, मैं चुप रहूँगी. ई तीनू फिल्म अवॉर्ड में नॉमिनेट भइल जवना में से साहब बीवी और गुलाम के अवॉर्ड मिलल. ई फिल्म भारत के ओर से ऑस्कर एंट्री में भी गइल. एकरा के बर्लिन फिल्म फेस्टिवल में ‘गोल्डन बियर’ के खिताब भी मिलल. मीना कुमारी अउरी गुरुदत्त के ई फिल्म हिन्दी जगत के एगो कल्ट क्लासिक फिल्म मानल जाले.

प्रेम से भरल मीना कुमारी के जीवन में ट्रेजेडी के रंग ढेर रहे

मीना कुमारी जब 18 के रहली तब उ 34 साल के निर्माता – निर्देशक आ लेखक कमाल अमरोही से बियाह कर लेहली. इहे उनका जिनगी के सबसे बड़ ट्रेजेडी कहल जा सकेला. उनके पति पहिले से शादीशुदा रहलें अउरी तीन गो संतान भी रहले सन. उ खुद एगो सफल निर्देशक रहलें अउरी एह दुनू जाना के जोड़ी एक से एक सफल फिल्म देहलस, जइसे ‘पाकीजा’. मीना कुमारी के जीवन में पहिले उनके पिता के हुकूम चलल, बाद में बियाह भइला के बाद उनके पति आपन राज चलावे लगलें, ई सब मीना कुमारी के अंदर से द्वन्द्व में डाले पर मजबूर कइलस. मीना कुमारी के पिता अली बख्श ना चाहत रहलें कि उ शादीशुदा कमाल अमरोही से बियाह करस. ई लोग गुपचुप बियाह कर लिहल लोग त उ दुनू जाना के साथे फिल्म करे ना देबे चाहत रहलें बाकिर मीना कुमारी त प्यार में रहली आ बगावत कर देहली. उनके पिता अपना बागी बेटी खातिर दरवाजा बंद कर लेहलें. इहवें से मीना कुमारी कमाल के घरे चल गइली आ उनके जीवन में आफत के दौर शुरू होत गइल.

कमाल अमरोही के शर्त पर मीना कुमारी के काम करे के पड़े, उनका मेकअप रूप में उनके पति के एगो आदमी बकर अली हरदम तैनात रहे. जब कमाल अमरोही के साथे मीना कुमारी के रिश्ता टूटल त ओकरा बाद उनके नाम कुछ निर्देशक से जुड़ल बाकिर उनके जिनगी अउर बदतर होत गइल. मीना कुमारी जवन कमाल अमरोही से आशिकी के दिन में रात रात जाग के बतियवले रहली आ दिन में जी तोड़ शूटिंग कइले रहली, उ आदत क्रोनिक इनसोमनिया बन गइल. जवना के चलते मीना कुमारी नींद के गोली लेबे लगली, ओहसे भी काम ना चलल त उ ब्रांडी के पेग लेबे लगली, ओकरा बाद ई बढ़त गइल. जवन अंत में एतना शानदार अभिनेत्री के जीवन लील गइल. मीना कुमारी के एगो अउरी बेहतरीन ग़जल रउआ लोग के नजर करत बानी, पढ़ीं लोग.

आग़ाज़ तो होता है अंजाम नहीं होता
जब मेरी कहानी में वो नाम नहीं होता
जब ज़ुल्फ़ की कालक में घुल जाए कोई राही
बदनाम सही लेकिन गुमनाम नहीं होता
हँस हँस के जवाँ दिल के हम क्यूँ न चुनें टुकड़े
हर शख़्स की क़िस्मत में इनाम नहीं होता
दिल तोड़ दिया उसने ये कह के निगाहों से
पत्थर से जो टकराए वो जाम नहीं होता
दिन डूबे है या डूबी बारात लिए कश्ती
साहिल पे मगर कोई कोहराम नहीं होता

(लेखक मनोज भावुक भोजपुरी साहित्य व सिनेमा के जानकार हैं.)

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