Home भोजपुरी हिन्दी सिनेमा पर हावी हो रहीं Pushpa, RRR, KGF 2 जैसी साउथ की फिल्में! Bollywood जाग जाए वरना….

हिन्दी सिनेमा पर हावी हो रहीं Pushpa, RRR, KGF 2 जैसी साउथ की फिल्में! Bollywood जाग जाए वरना….

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हिन्दी सिनेमा पर हावी हो रहीं Pushpa, RRR, KGF 2 जैसी साउथ की फिल्में! Bollywood जाग जाए वरना….

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दक्षिण भारतीय फिल्में (South Indian movies) न केवल अपने घरेलू बाजारों में कमाई कर रही हैं, बल्कि देश भर के सिनेमाघरों में भी सक्सेज के नए आयाम को छूती दिख रही हैं. अब सभी हिंदी दर्शक तमिल, तेलुगू, कन्नड़ या मलयालम फिल्मों के डब वर्जन (South movie dubbed in hindi) को खूब पसंद कर रहे हैं. इन रीजनल फिल्मों के प्रति उत्तर के लोगों की दिलचस्पी उस वक्त ज्यादा बढ़ी जब लॉकडाउन के खुलने के बाद सिनेमाघर भी ओपन हुए. इन दिनों किसी भी बॉलीवुड फिल्म की बजाए सिनेमाघरों में साउथ की फिल्म को देखने के लिए दर्शकों की ज्यादा भीड़ देखने को मिल रही है.

Taran Adarsh ने दिया सलमान के सवाल का सटीक जवाब
बॉलीवुड के सुपरस्टार सलमान खान (Salman Khan) जिन्होंने बी-टाउन को कई सुपरहिट फिल्में दी हैं. वे भी समझ नहीं पा रहे हैं कि हिंदी फिल्में दक्षिण में दर्शकों को उतनी आकर्षित क्यों नहीं करतीं, जितनी साउथ की फिल्में नॉर्थ में करती हैं. वैसे तो केजीएफ 2 के यश और RRR के स्टार राम चरण इस सवाल का जवाब बजरंगी भाई जान को दे चुके हैं लेकिन फिल्म ट्रेड एनालिस्ट तरण आदर्श के पास इसका सटीक जवाब है. उनका मानना ​​है कि क्षेत्रीय सिनेमा (regional cinema) की सफलता का श्रेय ‘पौष्टिक मनोरंजन’ (wholesome entertainment) को जाता है जो दक्षिण वाले मेकर्स दर्शकों को परोसते हैं. बॉक्स ऑफिस पर साउथ की फिल्मों (trend of south films) के दबदबे पर रिएक्शन देते हुए, उन्होंने कहा, ‘ये फिल्में दर्शकों को संपूर्ण मनोरंजन प्रदान करती हैं और लिफाफे को आगे बढ़ाती हैं.’ ऐसे में बॉलीवुड को जागने का अब सही समय है. उन्हें समझ जाना चाहिए कि दर्शन सेक्सुअल कंटेट के भूखे नहीं बल्कि उन्हें सही मनोरंजन की प्यास है.

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KGF 2 स्टार ने कहा- हिंदी दर्शकों को पसंद आ रहा साउथ मेकर्स का स्टाइल
KGF 2 के अभिनेता यश (KGF 2 Yash) ने सलमान के सवाल पर कहा, ‘ऐसा बिल्कुल भी नहीं है और यह बदलाव रातोंरात नहीं हुआ है. साउथ फिल्म मेकर्स की कहानी कहने के स्टाइल से खुद को परिचित कराने में (familiarising) उत्तर के दर्शकों ने खुद का अच्छा टाइम लिया है. हमारे कहानी कहने के तरीके ने ही हमारे सिनेमा से परिचय कराया है. पहले हमारी फिल्मों को भी कभी इस तरह का रिस्पॉन्स नहीं मिलता था लेकिन अब डब वर्जन बनाने शुरू किए. लोग अब हमारे द्वारा बनाए गए कंटेट को जान रहे हैं. मुझे लगता है शुरुआती दिनों में लोग डब को एक मजाक के रूप में लेते थे क्योंकि लोग उसे उस तरह से नहीं देखते थे लेकिन अब जिस तरह की डबिंग हो रही है लोग हमारी कहानी कहने के तरीके से परिचित हो रहे हैं, यह रातों रात नहीं हुआ है.’

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पौष्टिक मनोरंजन के प्यासे हैं दर्शक
अभिनेता ने भी तरण आदर्श की बात पर अपनी सहमति जताई है. केजीएफ 2 स्टार ने कहा, ‘बांद्रा से वर्सोवा की भीड़ से परे हिंदी फिल्मों में कोई दिलचस्पी नहीं है. शेष भारत के बारे में क्या ही कहा जाए? उन लोगों का क्या होता है जो अच्छे मनोरंजन के प्यासे हैं? अब समय आ गया है कि बॉलीवुड के लोग जागें. व्यापार विशेषज्ञ को लगता है कि देश में अभी भी ‘जीवन से बड़ी फिल्मों’ के लिए खरीदार हैं, अगर उन्हें “सही भावना और कहानी” दी जाती है.’

Box Office पर तूफान लाई साउथ की फिल्मों का हिंदी वर्जन
महामारी के बाद अल्लू अर्जुन की ‘पुष्पा: द राइज़’ ने बिना किसी प्रचार के 108.26 करोड़ रुपये हिंदी वर्जन से कमाए. बाद में, एसएस राजामौली की ‘आरआरआर’ ने बॉक्स ऑफिस पर तूफान ला दिया और 240.79 करोड़ रुपये हिंदी पार्ट से कमाए जबकि दुनिया भर में 1000 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई की. केजीएफ 2 ने भारत में पहले दिन के 61 करोड़ रुपए सिर्फ हिंदी वर्जन से और दूसरे दिन 100 करोड़ कमाए.. जबकि दो दिन में केजीएफ 2 ने 275 करोड़ से ज्यादा का बिजनेस किया है.

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गिरीश जौहर ने कही आत्म निरीक्षण की बात
फिल्म प्रोड्यूसर और ट्रेड एक्सपर्ट गिरीश जौहर (Girish Johar) को भी लगने लगा है कि हिंदी फिल्मों का स्तर नीचे आ चुका है, लिहाजा उन्होंने निष्कर्ष निकाला है. उन्होंने कहा, ‘अब हमें वास्तव में आत्मनिरीक्षण करने की आवश्यकता है कि ये फिल्में सिर्फ काम नहीं कर रही हैं, वे बिना किसी विनम्र प्रचार रणनीति (humongous promotion strategy) के छाई हुई हैं. यह एक अलग स्तर पर केंद्रित प्रयास (concentrated effort) है.’

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