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नई दिल्ली. गुड्डू रंगीला (Guddu Rangila) भोजपुरी सिनेमा को कई सारे गाने दिये हैं. हालांकि वह शुरू से ही गानों के डबल मीनिंग के लिए फेमस भी रहे और विवादों में भी. हालांकि इस बात को गुड्डू ने हमेशा से स्वीकार किया है. वह हमेशा से एक ही बात कहते आ रहे हैं कि उनके गाने बेशक डबल मीनिंग वाले होते हैं, लेकिन आप किस मीनिंग को समझते हैं ये आपका नजरिया है मेरा नहीं. बता दें कि ‘तनी सा जीन्स ढिला कर’ (जीन्स ढिला कारा), मैं चाहता हूँ (Hamra Hau Chaahi), गोरी तोहर यारी में (Goriya Tara Yaari Mein) आदि के लिए काफी फेमस हैं. यहां गौर करने वाली बात ये है कि जिस डबल मीनिंग गाने को गाकर गुड्डू ‘रंगीला’ बने थे. वहीं गाने उनके पतन का कारण भी बने. अब गुड्डू रंगीला चाहे कितनी भी अच्छे गाने क्यों ने गा लें. लोग उनके गाने प्ले करने से पहले दो बार सोचते हैं कि कहीं ये गाना वैसा तो नहीं, जैसा कि वह पहले गाते थे.
आपको बता दें कि गुड्डू रंगीला का असली नाम सिधेश्वरनन्द गिरि है. गुड्डू रंगीला भोजपुरी के ऐसे गायक हैं जिन्हें टी-सीरीज ने इन्हें डायमंड स्टार (डायमंड स्टार) का तमगा दिया है. इनके गाने सिर्फ भोजपुरी इलाकों में नहीं बल्कि भारत के अन्य भागों में भी खूब सुने जाते थे. हालांकि अब गुड्डू रंगीला का दौर गुजर चुका है. अब गुड्डू रंगीला जो भी गाना गाते हैं लोग उन्हें ट्रोल करने लगते हैं. हाल ही में उनका एक गाना कोविड 19 के दौरान आया था. जिसके बोल ‘हमरा लहंगा में कोरोना वायरस घुसल बा… ‘ यह गाना भले आते ही यूट्यूब पर छा गया लेकिन इस गाने से गुड्डू रंगीला विवादों में फंस गए थे.
गुड्डू रंगीला बनने के लिए उठाया कदम
आपको बता दें कि गुड्डू रंगीला जब भोजपुरी इंडस्ट्री में आए तो उनका भरत शर्मा व्यास, शारदा सिन्हा और बलेश्वर जैसे मंझे हुए गायक के सामने टिक पाना मुश्किल था. ये सभी सिंगर्स अपने आप में धुरंधर थे. उनके गाने देश विदेशों में काफी फेमस थे. इन सभी के एक सधे हुए श्रोता थे. ऐसे में गुड्डू रंगीला को अपना पैर जमा पाना काफी मुश्किल था. इसलिए उन्होंने जानबुझ कर उस वर्ग को चुना तो काफी जोशीले थे, जो बस मस्ती और फन के लिए गाने सुनते थे. ऐसे वर्ग के लिए सिधेश्वरनन्द गिरि से गुड्डू रंगीला बन गए.
सिलाई कंपनी में की नौकरी
गुड्डू रंगीला बिहार के सीवान के रहने वाले हैं. उनकी पढ़ाई भी सीवान में हुई है. पढ़ाई के दौरान ही गुड्डू कीर्तन व रामविवाह, शिवविवाह के गीत गाया करते थे. घर वाले चाहते थे गुड्डू पढ़ाई कर कुछ और काम करें, जबकि गुड्डू का मन गायकी में था. इसलिए उन्होंने 1992 में दोस्त से 300 रुपया उधार लेकर दिल्ली भाग गए और अपने चाचा के घर रहने लगे. शुरुआती दिनों में अपना गुजर बसर करने के लिए उन्होंने स्कॉट नामक सिलाई कंपनी में नौकरी की. जहां उन्हें 750 रुपए प्रतिमाह सैलरी मिलती थी. इसी दौरान दिल्ली में ही डब्ल्यू व्यास के साथ ‘दु गोला’ के मुकाबले से चर्चा में आ गए. उस इवेंट में गंगा कैसेट के मालिक भी उपस्थित थे. जो गुडडू के गाने से काफी इम्प्रेस हुए. उन्होंने गुड्डू को ब्रेक दिया और उनका पहला ऑडियो कैसेट ‘जवानी के तूफान’ साल 1996 में आई. इसके बाद 1997 में टी सीरीज से बुलावा आया. इसके साथ ही गुड्डू रंगीला भोजपुरी गायकी के क्षेत्र में छा गए और स्टार बन गए.
90 के दौर में भोजपुरी स्टार थे गुड्डू रंगीला
90 के दौर में गुड्डू रंगीला का जब उनका कैसेट आता था तो मार्केट में हाथों हाथ बिक जाया करती थी. उस दौर में गाना सुनने के लिए 25-30 का कैसेट ही खरीदना पड़ता था. उन कैसेट का सबसे बड़ा खरीदार ट्रक, बस, ट्रैक्टर के ड्राइवर और पान गुमटी चलाने वाले दुकानदार होते थे. जो दूसरे को सुनाने के लिए बड़ा स्पीकर लगाते थे. ऐसे में आम लोगों को भी पता चल जाता था कि गुड्डू का कोई नया गाना आया है. हालांकि अब वह दौर खत्म हो गया और गुड्डू रंगीला का भी.
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पहले प्रकाशित : 21 मार्च, 2023, 13:29 IST
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